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वसंत ऋतु आगमन

राम बहादुर शर्मा “राम”
बारा दीक्षित, जिला देवरिया (उत्तर प्रदेश)
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आया वसंत, आया वसंत,
कर शरद शिशिर का पूर्ण अंत।
आया वसंत, आया वसंत।।

जाड़े से आई जड़ता जो,
जीवन संवेग को थाम लिया,
जमता कर्तापन इससे पहले,
किस ऋतु ने उसे विराम दिया,

है महक उठी प्रकृति सारी,
संग महका सारा दिग दिगंत।
आया वसंत, आया वसंत।।

स्वागत करने को सज संग,
पछुआ लेकर आया पतझड़,
जीर्ण शीर्ण पत्रक उतार,
तरु लता कुंज बनकर निर्मल,

नूतन स्वरूप हर शाखा पर,
अनुपम सौंदर्य लेकर हेमंत।
आया वसंत, आया वसंत।।

पाटल मंदार के पुष्प गुच्छ,
गेंदा कनेर के पीत पुष्प,
खेतों में लहराती सरसों,
उन पर भी पीले खिले पुष्प,

भू पीत वर्ण श्रृंगार किए,
बिखरा सर्वत्र बसंती रंग।
आया वसंत, आया वसंत।।

नस नस में जगाता नया जोश,
जड़ चेतन सब हुए मदहोश,
कलियों में हवन अंगड़ाई भरता,
हर भ्रमर देख खो चुका होश,

पंचम अलाप स्वर कोकिला का,
फिर आम्र बौर की भीनी गंध।
आया वसंत, आया वसंत।।

मधु सी मादकता लिए हुए,
अनुपम श्रृंगार मधुमास किए,
नया जोश उत्साह नया,
नवयौवना सी बस प्यास लिए,

रति अनंग का परम मित्र,
आया बनकर ऋतुराज कंत।
आया वसंत, आया वसंत।।

गेहूं के सुनहरे बालों से,
टकराती है मदमस्त पवन,
स्वर रुनझुन का संगीत नया,
हर खेतों से आता छन-छन,

ज्यों स्वागत में है खड़ी हुई,
प्रकृति सज राग रागिनी संग।
आया वसंत, आया वसंत।।

गहि पलाश वन रक्तिम प्रसून,
कलियों की चटक करती श्रृंगार,
प्रकृति में मानो चहुं ओर हुआ,
अद्भुत नौयौवन का संचार,

ऋतुओं के राजा ने आकर “राम”,
हरमन में भर दी नई उमंग।
आया वसंत, आया वसंत।।
आया वसंत, आया वसंत।।

परिचय :- राम बहादुर शर्मा “राम”
व्यवसाय : शिक्षण कार्य
पद
: प्रधानाध्यापक 
कार्यस्थल :
 केन्द्रीय विद्यालय रायबरेली, (उत्तर प्रदेश)
निवासी :
ग्राम बारा दीक्षित, जिला देवरिया (उत्तर प्रदेश)
शिक्षा :
बी.एस-सी (जीवविज्ञान), बी.एड., एम.ए. (हिंदी साहित्य)
घोषणा
 पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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