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राम न कोई आएगा

आलोक रंजन त्रिपाठी “इंदौरवी”
इंदौर (मध्य प्रदेश)
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सीता सीता बनी रहे तो
लज्जा कौन बचाएगा
रावण है बहुतेरे लेकिन
राम न कोई आएगा

धर्म और संस्कृति की रक्षा
हमें स्वयं करना ही होगा
जो इस पर आक्षेप करेगा
उससे मिलकर लड़ना होगा
आतताइयों से अब तक
जो जुर्म सहे हैं हम सबनें
अब तक रहे नहीं रहना है
करूणा के इस बंधन में
इन कलंकितों की भाषा में
इनको कौन बतायेगा
रावण हैं…..

नारी अपनी शक्ति दिखाओ
आत्मबली बन जाओ तुम
अपनी क्षमता को पुष्टित कर
दुष्टों को ललकारों तुम
धैर्यवान हो तुम कृपाण हो
सृष्टि तुम्हीं हो पालक हो
अद्भुत क्षमता वाली तुम हो
तुम्ही समाज सुधारक हो
चंडी बन संहार करो जो
तुमको आज सतायेगा
रावण हैं…..

जिस धरती पर नारी का
सम्मान नहीं हो पायेगा
मानवता रोकेगी किसको
मानव ही मिट जायेगा
लज्जा के घूंघट से जिसनें
रावण को ललकारा था
पतिव्रत धर्म निभाकर जिसनें
धर्म सनातन पाया था
उसी सनातन का झंडा अब
धरती पर लहरायेगा
रावण हैं…..

परिचय :- आलोक रंजन त्रिपाठी “इंदौरवी”
निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश)
शिक्षा : एमए (हिंदी साहित्य)
लेखन : गीत, गजल, मुक्तक, कहानी, तुम मेरे गीतों में आते प्रकाशन के अधीन, तीन साझा संग्रह में रचनाएं प्रकाशित, १० से ज्यादा कहानियां पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित, ५० से ज्यादा गीत के चल पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित, २०१६ से लेखन में अभिरुचि
विशेष : आध्यात्मिक प्रवक्ता एस्ट्रोलॉजर
घोषणा पत्र : मेरे द्वारा यह प्रमाणित किया जाता है कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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