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गुरु बाबा के गुण गाबो

धर्मेन्द्र कुमार श्रवण साहू
बालोद (छत्तीसगढ़)
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छत्तीसगढ़ी कविता

चलना झंडा फहराबो…
गुरुबाबा के गुण गाबो…

मानवता संदेश खातिर
धाम गिरौधपुरी जाबो…

मनखे मनखे सब्बो ऐके समान हे …
सब्बो समान हे …बाबा …
सब्बो समान हे …

मानुस काया के तो इही ह पहचान हे …
इही ह पहचान हे …बाबा…
इही ह पहचान हे …

ऐके ही खून अउ ऐके ही तो चाम हे..
एक ही चाम हे.. बाबा…
एक ही चाम हे.. .

चलना नवा बिहान लाबो…
चलना तीरथ धाम जाबो..
मानवता संदेश खातिर
धाम गिरौधपुरी जाबो…

सच के रद्दा बतैइया
गुरु घासीदास बाबा हे..
घासीदास संत हे…बाबा…
घासीदास संत हे..

जीव हतिया रोकैइया
बाबा मांहगू के लाला हे..
मांहगू के लाला हे… बाबा…
घासीदास बाबा हे..

सतनाम के संदेश बगरैइया
अमरौतिन के दुलरवा हे..
अमरौतिन के दुलरवा हे…बाबा…
घासीदास बाबा हे..

सादा जिनगी बिताबो…
गुरुबाबा के गुन गाबो…
संस्कार ल पाय बर
धाम गिरौधपुरी जाबो…

खान-पान अऊ रहन-सहन
सब सुधारव संगी हव..
अपनाव संगी हव…बाबा…
सुधारव संगी हव…

कथनी-करनी ल घलो
सब निभावव संगी हव…
निभावव संगी हव…बाबा…
अपनावव संगी हव…

जात-पात के भेदभाव
ल पाटव संगी हव…
पाटव संगी हव… बाबा…
गाड़व संगी हव…

भाईचारा ल अपनाबो…
सदाचारी बन जाबो…
मानवता उपदेश बर
धाम गिरौधपुरी जाबो…

*श्रवण* बताये हे दुरलभ
ले ये तन हा मिले हे…
मुश्किल म मिले हे…बाबा…
मुश्किल म मिले हे…

इही चोला ल पाय बर
देवता मन ह तरसे हे …
देवता मन तरसे हे …बाबा…
देवता मन तरसे हे …

दिसमबर अठ्ठारह के तिहार
ल जुर मिल के मनाना हे..
जयंती मनाना हे.. बाबा…
तिहार ल मनाना हे..

मन मंदिर ल सॅंवारबो…
गियान जोति जलाबो…
मानवता उपदेश बर
धाम गिरौधपुरी जाबो…

गुरुबाबा के गुण गाबो…
चलना संदेश ल बगराबो..
मानवता उपदेश बर
धाम गिरौधपुरी जाबो…

परिचय :- धर्मेन्द्र कुमार श्रवण साहू
निवासी : भानपुरी, वि.खं. – गुरूर, पोस्ट- धनेली, जिला- बालोद छत्तीसगढ़
कार्यक्षेत्र : शिक्षक
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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