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उत्तम राह दिखाते

अंजनी कुमार चतुर्वेदी
निवाड़ी (मध्य प्रदेश)
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सब कुछ नहीं जानता कोई,
इस दुनिया में आकर।
ज्ञानवान विद्वान बनें सब,
गुरु से शिक्षा पाकर।

चरण शरण जो गुरु की जाते,
शिक्षा दीक्षा पाते।
बन जाते विद्वान वहीं नर,
जीवन सफल बनाते।

गुरुकुल हैं शिक्षा के मंदिर,
विद्या बुद्धि प्रदाता।
विद्या मंदिर में जो आता,
वह विद्वान कहाता।

पा आशीष ज्ञान निज गुरु से,
आगे बढ़ता जाता।
मिल जाती जब कृपा ईश की,
पंगु शिखर चढ़ जाता।

वेद पुराण उपनिषद गीता,
सबको ज्ञान सिखाते।
ज्ञानवान विद्वान सभी जन,
उत्तम राह दिखाते।

वाणी और नियम संयम से,
जीवन को महकायें।
विद्वानों की शरण प्राप्त कर,
ज्ञानवान बन जायें।

अहंकार ना रहे तनिक भी,
मन मानस के अंदर।
अहंकार से दूर रहे जो,
बनता वही सिकंदर।

सही समय पर समुचित बोले,
वह विद्वान कहाता।
जो उद्धार करे जन जन का,
सारे जग को भाता।

लोग जहाँ दादुर सम बोलें,
वहाँ मौन को धारें।
पड़े जरूरत मौन तोड़ दें,
स्वर्णिम वचन उचारें।

शिक्षित सभ्य सदाचारी जन,
हैं विद्वान कहाते।
अपनी विद्वता से निर्मल,
गंगा ज्ञान बहाते।

परिचय :अंजनी कुमार चतुर्वेदी
निवासी : निवाड़ी (मध्य प्रदेश)
शिक्षा : एम.एस.सी एम.एड स्वर्ण पदक प्राप्त
सम्प्रति : वरिष्ठ व्याख्याता शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय क्रमांक २ निवाड़ी
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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