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मैं तुझे भुला ना पाउँगा

प्रमेशदीप मानिकपुरी
भोथीडीह, धमतरी (छतीसगढ़)
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तेरी यादो के सहारे ये जिंदगी बसर कर लेंगे
जहाँ की सारी दुष्वारियां नजरे करम कर लेंगे
तेरी याद आने से पहले, मैं तुझे याद आऊंगा
तुम भुला देना मुझे, मैं तुझे भुला ना पाउँगा

हम तुम एक ना हुये तो क्या हुआ सनम
चाहतो के भी अपने ही होंगे नजरें करम
चाहतों के किस्से सारे जहाँ को बताऊंगा
तुम भुला देना मुझे मैं तुझे भुला ना पाउँगा

पत्थर के शहर में चाहत के शीशे बेच लेंगे
सामने ना सही अक्स हम दिल में देख लेंगे
दिल में तेरे लिए एक छोटा सा घर बनाऊंगा
तुम भुला देना मुझे, मैं तुझे भुला ना पाउँगा

जो मिल ना सके हम तुम कोई बात नहीं
सवेरे उजाले भी तो होंगे हमेशा रात नहीं
खुशियों की महफ़िल में तुमको बुलाऊंगा
तुम भुला देना मुझे,मैं तुझे भुला ना पाउँगा

हम वादों इरादों संग जीवन सफर कर लेंगे
बिछुड़कर यादों संग जीवन बसर कर लेंगे
तेरी यादों से ही घर का हर कोना सजाऊंगा
तुम भुला देना मुझे, मैं तुझे भुला ना पाउँगा

परिचय :- प्रमेशदीप मानिकपुरी
पिता : श्री लीलूदास मानिकपुरी
जन्म : २५/११/१९७८
निवासी : आमाचानी पोस्ट- भोथीडीह जिला- धमतरी (छतीसगढ़)
संप्रति : शिक्षक
शिक्षा : बी.एस.सी.(बायो),एम ए अंग्रेजी, डी.एल.एड. कम्प्यूटर में पी.जी.डिप्लोमा
रूचि : काव्य लेखन, आलेख लेखन, विभिन्न कार्यक्रम में मंच संचालन, अध्ययन अध्यापन
कार्य स्थल : शासकीय माध्यमिक शाला सांकरा
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।

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