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जय मध्यप्रदेश

मीना भट्ट “सिद्धार्थ”
जबलपुर (मध्य प्रदेश)
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क्षिप्रा रेवा कलकल बहती, धरा ज्ञान उपदेश की।
चंदन जैसी सौंधी पावन, माटी मध्यप्रदेश की।।

विक्रम नगरी यहाँ भोज की, बहे सुधा रस धार है।
दुर्गावती अहिल्या की भी, फैली कीर्ति अपार है।।
आल्हा ऊदल अमर कथाओं, और विजय संदेश की
क्षिप्रा रेवा कलकल बहती, धरा ज्ञान उपदेश की

बुन्देलों की इस धरती पर, गौरव है अभिमान है।
रूपमती का मांडू सुंदर, अमर प्रेम पहिचान है।।
खजुराहो, साँची स्तूप से, ख्याति बढ़े निज देश की।
क्षिप्रा रेवा कलकल बहती, धरा ज्ञान उपदेश की।।

विंध्य सतपुड़ा पर्वत माला, जबलपुर धुँआधार है।
तालों का भोपाल शहर है, कृषि उन्नत व्यापार है।।
पशुपति नाथ सदा शिव शम्भू,नगरी है सोमेश की।
क्षिप्रा रेवा कलकल बहती, धरा ज्ञान उपदेश की।।

पुरातत्व की अमिट धरोहर, तानसेन की तान है।
करता है जयगान सकल जग, अमिट निराली शान है.
भिन्न भिन्न बोली भाषाएँ छवि अद्भुत परिवेश की
क्षिप्रा रेवा कलकल बहती, धरा ज्ञान उपदेश की।।

यहाँ सघन वन कान्हा का है, सुख सम्पदा अपार है।
मिलता आश्रय आदिकला को, चहुँतरफा झंकार है।।
माँ का हिय है नेह पिता का, अतुल गेह सर्वेश की।
क्षिप्रा रेवा कलकल बहती, धरा ज्ञान उपदेश की।।

परिचय :- मीना भट्ट “सिद्धार्थ”
निवासी : जबलपुर (मध्य प्रदेश)
पति : पुरुषोत्तम भट्ट
माता : स्व. सुमित्रा पाठक
पिता : स्व. हरि मोहन पाठक
पुत्र : सौरभ भट्ट
पुत्र वधू : डॉ. प्रीति भट्ट
पौत्री : निहिरा, नैनिका
सम्प्रति : सेवानिवृत्त जिला न्यायाधीश (मध्य प्रदेश), लोकायुक्त संभागीय सतर्कता समिति जबलपुर की भूतपूर्व चेयरपर्सन।
प्रकाशित पुस्तक : पंचतंत्र में नारी, काव्यमेध, आहुति, सवैया संग्रह, पंख पसारे पंछी
सम्मान : विक्रमशिला हिंदी विश्वविद्यालय द्वारा, विद्या सागर और साहित्य संगम संस्थान दिल्ली द्वारा, विद्या वाचस्पति की मानद उपाधि, गुंजन कला सदन द्वारा, महिला रत्न अलंकरण तथा कई अन्य साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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