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भोर

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया
भोपाल (मध्यप्रदेश)

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अहा! देखो खिड़की से बाहर।
कितना सुंदर दृश्य गगन पूर्व दिशा।
उदित सूरज अपनी लालिमा युक्त।
किरणें फैला भोर होने का संदेशा लेकर आया।

रवि निशा की विदाई करे।
अरु उषा अभिनंदन करें।
सारे संसार में अंतरिक्ष स्थित हो।
धरा पर उजियाला फैलाने रवि आया।

दिनकर ने हम सबको निंद्रा से जगाया।
हम सबको जागृत कर।
जीवन चक्रानुसार कर्म पथ पर।
कर्म करने हम सबके उर उमंग।
ऊर्जा भर जीवन पथ पर अग्रसर करने आया।

परिचय :- श्रीमती संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया
निवासी : भोपाल (मध्यप्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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