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जब सजन देख फिर शृंगार होगा

मीना भट्ट “सिद्धार्थ”
जबलपुर (मध्य प्रदेश)
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चाँद निकलेगा सजन जब देख फिर शृंगार होगा।
व्रत रखे साजन सुहागन साथ तो भरतार होगा।।

उम्र लंबी हो सजन की नित्य करती कामना है।
माँगती वरदान प्रभु से वामिनी सुख साधना है।।
देख करवाचौथ को पूजा करूँ मन मीत आजा।
गंग सी बहती चलूँ अब संग गाती गीत राजा।।
ओट चलनी देखती जिसको वही तो प्यार होगा।

सात जन्मों का निराला संग अपना मान प्रियतम।
है खनक चूड़ी झनक पायल सुनाती नित्य सरगम।।
नाक की नथनी कहे साजन सदा ही ध्यान देगा।
आज करवा चौथ को चंदा कहे प्रिय मान देगा
राम सिय जोड़ी रहे सुंदर सजन संसार होगा।

बन चकोरी राह तकती ये सुहागन देख तेरा।
प्रीत का हिय है बसेरा चाँद सीमा पार मेरा।।
अर्ध्य देती चाँद को वंदन करूँ प्रिय प्रेम पलता।
चन्द्र ले जा आज पाती दिव्य दीपक प्रेम जलता।।
डोर पावन प्रेम की पनपे यही आधार होगा।

चाँद अपना देखकर अब कुमुदिनी सी मैं खिली हूँ।
प्राण हो तुम ही सजन हर्षित रहूँ जब से मिली हूँ।।
चाँदनी चितचोर चंदा नित मिलन की रात देगा।
सौम्य है ये शांत भी हमको अटल अहिवात देगा।।
शुभ घड़ी पूजन करें सौभाग्य अपरम्पार होगा।

परिचय :- मीना भट्ट “सिद्धार्थ”
निवासी : जबलपुर (मध्य प्रदेश)
पति : पुरुषोत्तम भट्ट
माता : स्व. सुमित्रा पाठक
पिता : स्व. हरि मोहन पाठक
पुत्र : सौरभ भट्ट
पुत्र वधू : डॉ. प्रीति भट्ट
पौत्री : निहिरा, नैनिका
सम्प्रति : सेवानिवृत्त जिला न्यायाधीश (मध्य प्रदेश), लोकायुक्त संभागीय सतर्कता समिति जबलपुर की भूतपूर्व चेयरपर्सन।
प्रकाशित पुस्तक : पंचतंत्र में नारी, काव्यमेध, आहुति, सवैया संग्रह, पंख पसारे पंछी
सम्मान : विक्रमशिला हिंदी विश्वविद्यालय द्वारा, विद्या सागर और साहित्य संगम संस्थान दिल्ली द्वारा, विद्या वाचस्पति की मानद उपाधि, गुंजन कला सदन द्वारा, महिला रत्न अलंकरण तथा कई अन्य साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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