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स्पर्धा

दीप्ता नीमा
इंदौर (मध्य प्रदेश)

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हर कोई शख्स अपनों से स्पर्धा कर रहा है,
सुकून छोड़ चिंता से प्रतिस्पर्धा कर रहा है।

जिंदगी की दौड़ में आगे निकल जाऊं,
कमाने की होड़ में सबको पीछे छोड़ आऊं,
स्वयं आगे हो कैसे उसे पीछे खींच लाउं।।
कमाल है ना ,
हर कोई शख्स अपनों से स्पर्धा कर रहा है।

ये सारी दुनिया बहुत सतरंगी है जनाब,
सभी अपनों ने पहने हुए हैं बेहिसाब नकाब,
आप नहीं कर सकते उनसे सवाल जवाब,
कमाल है ना,
हर कोई शख्स अपनों से स्पर्धा कर रहा है।

आप शामिल हो गए अनभिज्ञ किसी स्पर्धा में,
पता न चलेगा रहोगे अनजान इसी दुविधा में,
प्रतिस्पर्धी बन जाओगे अनचाही प्रतिस्पर्धा में,
कमाल है ना,
हर कोई शख्स अपनों से स्पर्धा कर रहा है,
सुकून छोड़ चिंता से प्रतिस्पर्धा कर रहा है।।

परिचय :- दीप्ता मनोज नीमा
निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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