सीमा रंगा “इन्द्रा”
जींद (हरियाणा)
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आज के भागदौड़ भरे इस आधुनिक जीवन में किसी के पास वक्त ही नहीं है। एक घर में रहकर भी घर के सदस्य एक-दूसरे के साथ बैठकर खाना नहीं खा पाते, बात नहीं कर पाते हैं। ऐसा नहीं है बात नहीं करना चाहते। सभी करना चाहते पर घर-परिवार की जिम्मेदारियां और फिर कमाने की जद्दोजहद में सब व्यस्त रहते हैं।
सोचते हैं इस वर्ष की बात है अगले वर्ष सब ठीक हो जाएगा परंतु अगले वर्ष करते-करते कब बुढ़े हो जाते हैं पता ही नहीं चलता? एक आदमी को सिर्फ कमाना ही नहीं होता बल्कि बच्चों की पढ़ाई, स्वास्थ्य, घरवालों के ख्याल के साथ-साथ बहुत से खर्चों का ध्यान रखना पड़ता है। उसे हमेशा एक ही चिंता रहती है कहीं घरवालों की जरूरतें पूरी ना हो, या कहीं कोई क़िस्त समय पर ना जाएं या फिर बच्चे की स्कूल फीस, ट्यूशन फीस लेट ना हो जाए। त्योहारों पर बच्चों की जरूरतों का सामान, खिलौने और ढेर सारी आवश्यकता की पूर्ति करता रहता है बिना कुछ बोले। उसे परिवार की खुशी सर्वप्रथम दिखती है।
मैंने देखा है एक पुरुष घर का सामान दिला देगा, बच्चों को, पत्नी को, मां को आवश्यकता की वस्तु परंतु जब उसकी बारी आती है तो हंसकर बोल देता है मेरे पास तो ढेर सारे कपड़े है। मुझे क्या जरूरत है। वह अपनी भावनाओं को सिर्फ और सिर्फ परिवार की खुशी के लिए दबा देता है। यह समर्पण ही परिवार में खुशी बनाए रखता है। हफ्ते में एक छुट्टी मिलती है आराम करने की। उसी छुट्टी में परिवार की खुशी की खातिर निकलता है बाहर परिवार को खुशी देने के लिए।
उसका बड़ा मन होता है एक दिन का तो आराम करें परंतु जिम्मेदारियां और परिवार को खुश रखने की चाहत उसे यह सब करने ही नहीं देती। परिवार को खुश करने के लिए, उनके सपने सजाने के लिए व बिना पक्षपात किए सभी की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए हैं कब वह बूढ़ा हो जाता है? उसे पता ही नहीं लगता। उसके त्याग से परिवार हंसता, खेलता, मुस्कुराता रहता है।
परिचय :- सीमा रंगा “इन्द्रा”
निवासी : जींद (हरियाणा)
विशेष : लेखिका कवयित्री व समाजसेविका, कोरोना काल में कविताओं के माध्यम से लोगों टीकाकरण के लिए, बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ हेतु प्रचार, रक्तदान शिविर में भाग लिया।
उपलब्धियां : गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड से प्रशंसा पत्र, दैनिक भास्कर से रक्तदान प्रशंसा पत्र, सावित्रीबाई फुले अवार्ड, द प्रेसिडेंट गोल्स चेजमेकर अवार्ड, देश की अलग-अलग संस्थाओं द्वारा कई बार सम्मानित बीएसएफ द्वारा सम्मानित। देश के अलग-अलग समाचार पत्रों में रचनाएं प्रकाशित,कई अनपढ़ महिलाओं को अध्यापन।
प्रकाशन : सतरंगी कविताएं, काव्य संग्रह।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।
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