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हिंदी भाषा

डॉ. अर्चना मिश्रा
दिल्ली

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हिंद देश के वासी हम
चलो इसका मान बढ़ाएं
हिंदी को सब लोग मिलकर
क्यों ना जन-जन तक पहुंचाएं
हो सर्व सुलभ हिंदी ऐसी
साहित्य का ज्ञान बढ़ाएँ
सब को हिंदी से प्रेम हो
कुछ ऐसा करके दिखाएं
दिन प्रतिदिन कुछ ना कुछ
लोगों को जगाएँ
हिंद के प्रति समर्पित कुछ
कविताएँ, गीत,
नाटक, सबको पढ़ाएँ।
राष्ट्रकवि से लेकर सब
कवियों की गाथा सुनाएँ ।
क्या रहा इतिहास इसका
चलो सबको बताएँ॥
हो जयशंकर प्रसाद या प्रेमचंद,
मीरा हो या रसखान हो
हो कबीर चाहे, सूरदास
जायसी हों या
मैथिलीशरण गुप्त हो
राष्ट्रवाद की भावना सबमें
प्रबल रही सभी को
प्रेम हिंदुस्तान से
सभी की आन बान
जुड़ी हिंदी से ही थी
फिर से अब स्वर बुलंद होगा
हिंदी का परचम घर-घर लहरेगा
पढों-पढों पढ़ना ज़रूरी हैं
लिखों-लिखों लिखना भी
सबसे ज़्यादा ज़रूरी हैं ॥
यही नारे गूंजेंगे दिन रात
हिंदी गूंज उठेगी
भारत की सरजमीं पर
बजेगा फिर से शंखनाद
होगी हिंदी की फिर से जय-जयकार

परिचय :-  डॉ. अर्चना मिश्रा
निवासी : दिल्ली
प्रकाशित रचनाएँ : अमर उजाला काव्य व साहित्य कुंज में रचनाएँ प्रकाशित।
आपका रुझान आरम्भ से ही हिंदी की ओर था अपने स्कूल व कॉलेज के दिनो से ही मेआपने लेखन का कार्य शुरू कर दिया था। आपने अधिकतर रचनायें कविता एवं लेख के रूप में लिखी है। आपने हिंदू कॉलेज दिल्ली से हिंदी विषय से ही अपनी बीए एमए किया तत्पश्चात् बीएड और एमएड किया। साथ ही साथ आपने काउंसलिंग एंड गाइडेंस का भी कोर्स किया।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।

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