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चौपट भविष्य

रामेश्वर दास भांन
करनाल (हरियाणा)
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बंद हो रहे हैं स्कूल, अब मेरे गांँव में,
बच्चे कहां जाएं पढ़ने, अब मेरे गांँव में,

उजड़ जायेगा ये जीवन, बिन पढ़ाई के,
कौन बच्चों को पढ़ाएगा, अब मेरे गांव में,

सदियों से था बना, मेरा पिता भी इसमें पढ़ा,
अब मैं कहां जाऊं पढ़ने, किस गांँव में,

पिता का साया नहीं है सर पर मेरे, माँ है अकेली,
कौन छोड़ने जाएं मुझे स्कूल, किस गांँव में,

साथी मेरे सब चिंता में हैं डूबे हुए जब से,
मुरझा गए हैं चेहेरे सब बच्चों के मेरे गांँव में,

बेटियों पर भी रहम नहीं खाया है जालिम आकाओं ने,
बचपन को अनपढ़ बनाने की शाजिश रची है मेरे गांँव में,

थी बुनियाद पढ़ाई की ये बढ़ी, गहराई से थी जड़ी,
तोड़ दी है अब पढ़ाई की, बुनियाद मेरे गांँव में,

कर दिया है चौपट भविष्य हमारा, रहनुमाओं ने,
बंद कर हैं रहे स्कूल, अब मेरे गांँव में,

कैसे पढ़ेगा बचपन, बताओ रहनुमाओं ?
तुमने तो बच्चों को भी नहीं बख्शा, मेरे गांँव में,

परिचय : रामेश्वर दास भांन
निवासी : करनाल (हरियाणा)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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