Sunday, November 24राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

चला आऊं शहर में तेरे

रामेश्वर दास भांन
करनाल (हरियाणा)
********************

तु कह दे तो मैं चला आऊं शहर में तेरे,
बुला तो सही एक बार मुझे शहर में तेरे,

मैं भी देखूं शान-ओ-शौकत शहर की तेरे,
मैं भी घुमू लूं गली-गली शहर की तेरे,

छोटा सा गांँव है मेरा बसता है दिल में मेरे,
निकल कर गांँव से अपने देख लूं शहर को तेरे,

चकाचौंध की जिंदगी सुनी है मैंने शहर की,
वो सब देख लूं आकर एक बार शहर में तेरे,

डर मुझे है लगता कहीं खो ना जाऊं भीड़ में,
तूं भी कहीं ना पहचाने मुझ को शहर में तेरे,

है रोशनाई मेरे गांँव के प्यार में ज्यादा,
देख लूं आकर आबोहवा शहर में तेरे,

यों ना कहना आया नहीं गांँव को छोड़ कर,
मिलने तुम से आ रहा हूंँ अब शहर मेेंं तेरे,

परिचय : रामेश्वर दास भांन
निवासी : करनाल (हरियाणा)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा अवश्य कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय  हिन्दी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉 👉 hindi rakshak manch  👈… राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…🙏🏻.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *