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बच्चों को अमीर बनाते हैं पिता

किशन सनमुखदास भावनानी
गोंदिया (महाराष्ट्र)
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खुद गरीब पर बच्चों को अमीर बनाते हैं पिता
कभी कंधे पर बिठाकर मेला दिखाते हैं पिता
कभी घोड़ा बनकर घुमाते हैं पिता
ऐसे सभी लोकों के महान देवता है पिता

संकट में पतवार बन खड़े होते हैं पिता
परिवार की हिम्मत विश्वास है पिता
उम्मीद की आस पहचान है पिता
जग में अपने नाम से पहचान दिलाते हैं पिता

कभी अभिमान तो कभी स्वाभिमान हैं पिता
मां अगर पैरों पर चलना सिखाती है
तो पैरों पर खड़ा होना सिखाते हैं पिता
कभी धरती तो कभी आसमान है पिता

परिवार की इच्छाओं को पूरा करते हैं पिता
हर किसी का ध्यान रखते हैं पिता
धरा पर ईश्वर अल्लाह का नाम है पिता
जग में अपने नाम से पहचान दिलाते हैं पिता

परिचय :- किशन सनमुखदास भावनानी (अभिवक्ता)
निवासी : गोंदिया (महाराष्ट्र)
शपथ : मेरे द्वारा यह प्रमाणित किया जाता है कि मेरी यह रचना पूर्णतः मौलिक, स्वरचित और अप्रकाशित हैं।


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