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स्पर्श में संवाद

मनीषा श्रीवास्तव
प्रयागराज (उत्तरप्रदेश)
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हाथ हमारे सख्त भले हों, पर मन है अतिशय सुकुमार।
कोमल सा स्पर्श तुम्हारा, मेरी खुशियों का भंडार।
तेरा पिता अतुल अनुगामी, तुम हो श्रवण का आशीर्वाद।
दादा-पोते की पीढ़ी अब, हाथ पकड़ करते संवाद।

जीवन का आरंभ है तेरा, अभी तो तुम हो अनुभव शून्य।
पर इस नैसर्गिकता ने, कर दिया है मुझको अनुभव पूर्ण।
कुमकुम जैसी लाल हथेली, बता रही तुम हो विद्वान।
तेरे इस बूढ़े दादा को, अभी से तुझपर है अभिमान।

काम जो पूरा न कर पाऊं, तुम करना मेरे उपरांत।
सदा सत्य की राह पे चलना, रखना अपने मन को शांत।।
छोटों को स्नेह जताना, बड़ों का करना तुम सम्मान।
बस! इतना ही कहना मुझको, अब मैं करता हूँ प्रस्थान।

नहीं है दादू हाथ सख्त, मैं कर लूँगा स्पर्श अभ्यास।
पापा का श्रवण बनूं मैं, बना रहे घर का विन्यास।
दीदी तुम संग खेली जितना, मैं भी खेलूं उतनी बार।
कट्टी हो जाऊँगा दादू अब की जो जाने की बात।

मैं बन जाऊं तेरी लाठी, तुम करना मेरा अनुवाद।
दादा-पोते की पीढ़ी अब, हाथ पकड़ करते संवाद।।

परिचय : मनीषा श्रीवास्तव
पिता : स्वर्गीय श्री हीरा मोहन वर्मा
माता : श्रीमती शैल वर्मा
पति : श्री राजेन्द्र बहादुर श्रीवास्तव
निवास : प्रयागराज (उत्तरप्रदेश)
सम्प्रति : गृहणी
अभिरुचि : पठन-पाठन, गीत-संगीत, पेंटिंग, एवं समाज सेवा।
विधा : कविता, ग़ज़ल, गीत, लघु कथा आदि विधाओं में लेखन जारी।
उपलब्धियां : उदीयमान सम्मान १९९३, सम्मान सहित, अनेकानेक पत्र पत्रिकाओं में रचनाओं का अनवरत प्रकाशन, विभिन्न साहित्यिक पटलों से अनेकों सम्मान पत्र प्राप्त एवं अनेकों साहित्यिक पटलों, मंचों से आनलाइन/ आफलाइन काव्य पाठ/गोष्ठियों में काव्य पाठ अनवरत जारी।
प्रकाशित पुस्तक : साझा काव्यसंग्रह-काव्य किसलय, साझा काव्यसंग्रह मल्लिका काव्य, साझा काव्यसंग्रह, काव्यसृष्टि, इसके साथ-साथ स्वरचित रचनाओं पर आधारित “मेरी अवलेखनी” के नाम से चैनल।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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