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गोकुलाष्टमी

डाॅ. रेश्मा पाटील
निपाणी, बेलगम (कर्नाटक)
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आज गोकुलाष्टमी… गोकुलाष्टमी भगवान श्रीकृष्ण ने श्रावण मास में जन्म लेकर श्रावण मास को सिद्धि/पूर्णता प्रदान की है। श्री कृष्ण अवतार का मूल सूत्र भक्ति है। श्रीकृष्ण का जन्म ऐसे स्थान पर हुआ था कि उन्होंने भक्ति के साथ शुरुआत की। वे गोपियों के संपर्क में आए। दर्शन और अध्ययन बाद में आए। कोई नहीं जानता कि भगवान के जलक्रीड़ा उनके बचपन की थी। श्री राम के अवतार में भगवान को जानने वाले सभी ऋषियों ने मोक्ष की इच्छा के साथ उन्हें गले लगाने की इच्छा व्यक्त की। बाद में जब श्रीकृष्ण अवतार में यहां आए तो पिछले जन्मों के सभी ऋषि गोपाकन्या के रूप में पैदा हुए, बचपन तक उनके साथ खेल खेले और उन्हें गले लगाया। उसके बाद, जब भगवान मथुरा गए, तो वे केवल साढ़े ग्यारह वर्ष के थे।
भगवान कृष्ण के आदर्श को आंखों के सामने रखना चाहिए। जब वे गोकुल में थे, वहां पूर्ण सद्भाव था। एक बार जब वे गोकुल छोड़कर मथुरा चले गए, तो वे गोकुल वापस नहीं गए। साथ ही, जब वे द्वारका गए, तो उन्हें मथुरा की याद नहीं आई। यह सब भूल जाना और माया में न फँसना भगवान कृष्ण से सीखना है।
गोकुलाष्टमी यानी मराठी मे कालाष्टमी… (गोकुल+अष्ट+मैं)

गोकुल :- गो का अर्थ है इंद्रियां और कुल का अर्थ है घर। इंद्रियों का घर हर शरीर है। गोपाल (कृष्ण) इस शरीर का अनुसरण करता है जो इसे चलाता है।
अष्टमी :- अष्ट अर्थ आठ के सातसात का मराठी अर्थ है आठवां (स्मरा) यानी याद करना। असली मैं जो शरीर के माध्यम से “मैं मैं” कहता हूं, वो कृष्ण हैं। मै कुछ नही हू मुझमे कृष्ण है तो सब है। इस बात को हमेशा याद रखना चाहीये।
जहाँ से ‘मैं’ शब्द उत्पन्न हुआ। स्वरूप से सत चित सुखात्म्य तुम्हारा कृष्ण है। वही श्रीकृष्ण जो कायनात और जहान मे सब के रूप मे अनंत रूपोंमे मे, अनंत वेषों मे प्रगट होता है।
इसका अर्थ है कि ‘मैं’ का चैतन्य कृष्ण से आता है और वे स्वयं को सभी शरीरों (उपाधींयो), प्रकृति और ब्रह्मांड के रूप में अनंत रूपों और अनंत वेषों में प्रकट करते हैं।
गोपाल :- गो का अर्थ है इंद्रिय और पाल का अर्थ है पालक
जो गोकुल में यानी आपके अपने शरीर के रूप में है, अर्थात जो “सच में मैं का पालक है” उस गोपाल की आठवीं (अष्ट) अर्थात् याद करते हुए उसी का प्रकटीकरण होना यानी गोकुलाष्टमी (कृष्ण जन्माष्टमी) है।
जब यह गोपाल अपने ही स्थान पर जन्म लेता है तो उसे आनन्द का गोपाल काला… कहते है।
हमारी हार्दिक कामना है कि ऐसी ही सच्ची ‘गोकुलाष्टमी’ हम सभी के जीवन में मनाई जाए….

परिचय :-  डाॅ. रेश्मा पाटील
निवासी : निपाणी, जिला- बेलगम (कर्नाटक)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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