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लोगो की दिलो में रहना सीखे

प्रमेशदीप मानिकपुरी
भोथीडीह, धमतरी (छतीसगढ़)
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लोगो की सोच में नहीं दिलो में रहना सीखे
मुहब्बत अपनों से नहीं जँहा से करना सीखे
धन दौलतआनी जानी पुरुषार्थ कमाना सीखे
लोगो की सोच में नहीं दिलो में रहना सीखे

जब लेखन को बैठे दिल की कलम से ही लिखें
लेखनी चले तो जीवन संघर्ष की कहानी लिखें
मुक़ददर का लिखा मिलेगा कर्म करना सीखे
लोगो की सोच में नहीं दिलो में रहना सीखे

मधुर संबंधों की प्रति पल जग में जीत लिखें
मधुर मुस्कान के साथ जीवन के गीत लिखें
सीखने को जीवन कम है,हर पल नया सीखे
लोगो की सोच में नहीं दिलो में रहना सीखे

आओ सब मिलकर जीवन को मधुर बनाये
मिला जितना जीवन खुशियों से उसे सजाये
निशदिन जीवन मे एक नई इबारात सीखे
लोगो की सोच में नहीं दिलो में रहना सीखे

जीवन मे बढ़ते बढ़ते मंजिल तक जाना है
राह कठिन है मगर मंजिल तो पहचाना है
मिलेगी मंजिल तय है कर्म करना सीखे
लोगो की सोच में नहीं दिलो में रहना सीखे

परिचय :- प्रमेशदीप मानिकपुरी
पिता : श्री लीलूदास मानिकपुरी
जन्म : २५/११/१९७८
निवासी : आमाचानी पोस्ट- भोथीडीह जिला- धमतरी (छतीसगढ़)
संप्रति : शिक्षक
शिक्षा : बी.एस.सी.(बायो),एम ए अंग्रेजी, डी.एल.एड. कम्प्यूटर में पी.जी.डिप्लोमा
रूचि : काव्य लेखन, आलेख लेखन, विभिन्न कार्यक्रम में मंच संचालन, अध्ययन अध्यापन
कार्य स्थल : शासकीय माध्यमिक शाला सांकरा
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।

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