सुधीर श्रीवास्तव
बड़गाँव, गोण्डा, (उत्तर प्रदेश)
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आँखें नम हैं
मन में उल्लास भी,
महज कपोल कल्पना सी लगती है,
विश्वास अविश्वास की तलैया में
हिलोरें भरती मेरी परिकल्पना को
तूने आगे बढ़कर साकार कर दिया
अपने नेह बंधन में बाँध मुझे
तूने बहुत बड़ा काम ही नहीं
सारा जग जैसे जीत लिया
हमारे रिश्तों को नया आयाम दे दिया।
ममता तेरी ममता के आगे तो
तेरे भाई शीश सदा झुकाता ही रहा है
आज तेरा कद आसमान सा ऊँचा हो गया है।
तू छोटी सी बड़ी प्यारी, दुलारी है
तू कल भी लाड़ली थी मेरी
अब तो और भी लाड़ली हो गई है।
तेरे सद्भावों पर गर्व हो रहा है,
तेरा ये भाई भी खुशी से उड़ रहा है,
तेरा मान न पहले कम था
न आज ही कम है, न कभी कम होगा
जैसे भी हो सकेगा, होता रहेगा
रिश्तों का ये नेह बंधन
कभी कमजोर न होने पायेगा
रिश्तों का फ़र्ज़ तेरा ये भाई निभायेगा।
बस ख्वाहिश इतनी सी और बढ़ गई
मेरे सिर पर तेरा हाथ हो
और आशीष की उम्मीद बढ़ गई।
पर अहसास मुझे भी है
कि मेरी जिम्मेदारियां बढ़ गई,
हम कल भी बहन भाई के रिश्ते में बँधे थे
और आज भी तो हैं ही
इसमें नया क्या हो गया?
बस इतना कि हमारे रिश्तों पर
तेरी राखी ने कब्जा जमा और मजबूत कर दिया।
पर एक बात तो कहूंगा ही
अधिकार जताने और लड़ने झगड़ने के
तेरे जलवों में थोड़ी और वृद्धि हो गई
रिश्तों की गाँठ और मजबूत हो गई,
नेह बंधन के सहारे मेरी प्यारी बहना
तू सचमुच बाजी मारी ले गई,
राखी की डोर से हमारे संग अपने रिश्ते को
राखी बंधन में बाँध और मजबूत बना गई।
खुश हाल रहो मेरी बहना
ये आशीर्वाद हमारा है,
ममता तेरी ममता का भाव बड़ा ही प्यारा है,
कोई माने या न माने पर
ये बड़ा सौभाग्य हमारा है,
तू मेरी लाड़ली दुलारी बहना
तुझको ये भाई प्यारा है।
ऐसे लगता है तुझसे मेरा
पूर्वजन्म का रिश्ता नाता है,
जो भी है मेरी लाडो
मुझको नहीं उलझना है
बस तेरी ममता के आगे
सुधीर शीश झुकाता है ।
परिचय :- सुधीर श्रीवास्तव
जन्मतिथि : ०१/०७/१९६९
शिक्षा : स्नातक, आई.टी.आई., पत्रकारिता प्रशिक्षण (पत्राचार)
पिता : स्व.श्री ज्ञानप्रकाश श्रीवास्तव
माता : स्व.विमला देवी
धर्मपत्नी : अंजू श्रीवास्तव
पुत्री : संस्कृति, गरिमा
संप्रति : निजी कार्य
विशेष : अधीक्षक (दैनिक कार्यक्रम) साहित्य संगम संस्थान असम इकाई।
रा.उपाध्यक्ष : साहित्यिक आस्था मंच्, रा.मीडिया प्रभारी-हिंददेश परिवार
सलाहकार : हिंंददेश पत्रिका (पा.)
संयोजक : हिंददेश परिवार(एनजीओ) -हिंददेश लाइव -हिंददेश रक्तमंडली
संरक्षक : लफ्जों का कमाल (व्हाट्सएप पटल)
निवास : गोण्डा (उ.प्र.)
साहित्यिक गतिविधियाँ : १९८५ से विभिन्न विधाओं की रचनाएं कहानियां, लघुकथाएं, हाइकू, कविताएं, लेख, परिचर्चा, पुस्तक समीक्षा आदि १५० से अधिक स्थानीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर की पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित। दो दर्जन से अधिक कहानी, कविता, लघुकथा संकलनों में रचनाओं का प्रकाशन, कुछेक प्रकाश्य। अनेक पत्र पत्रिकाओं, काव्य संकलनों, ई-बुक काव्य संकलनों व पत्र पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल्स, ब्लॉगस, बेवसाइटस में रचनाओं का प्रकाशन जारी।अब तक ७५० से अधिक रचनाओं का प्रकाशन, सतत जारी। अनेक पटलों पर काव्य पाठ अनवरत जारी।
सम्मान : विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं द्वारा ४५० से अधिक सम्मान पत्र। विभिन्न पटलों की काव्य गोष्ठियों में अध्यक्षता करने का अवसर भी मिला। साहित्य संगम संस्थान द्वारा ‘संगम शिरोमणि’सम्मान, जैन (संभाव्य) विश्वविद्यालय बेंगलुरु द्वारा बेवनार हेतु सम्मान पत्र।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।
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