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योगेश्वर श्रीकृष्ण

निरुपमा मेहरोत्रा
जानकीपुरम (लखनऊ)
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हे परम ब्रह्म श्री कृष्ण!
गोलोक त्याग धरा पर आए;
जगत कल्याण हेतु,
असुर विनाश हेतु,
ज्ञान भक्ति कर्म का मार्ग दिखाने,
एवं धर्म संस्थापना हेतु।

अवतरित हुए तुम,
कारागार के बंधन में;
फिर अशेष संघर्ष यात्रा,
कंटकपूर्ण रहा हर पग;
और आसुरी शक्तियों का आतंक,
जिससे आर्तनाद कर उठा जग।

बाधाओं का अतिक्रमण कर,
हे कृष्ण! सफल योद्धा बन तुम,
जीत गए हर युद्ध,
जाना विश्व ने तुम्हें अपराजेय, प्रबुद्ध।

प्रेम की कोमलता तथा उसकी शक्ति को,
कण-कण में फैलाकर,
प्रेम भाव से सराबोर संसार किया;
प्रेम के शाश्वत तत्व को,
मानव मन का आधार दिया।

ब्रह्म और जीव की एकात्मता को,
राधा संग रास रचाकर,
कण-कण में विस्तार दिया।

सोलह कला संपूर्ण तुम,
योगेश्वर, पुरुष पूर्ण तुम।

दीन सुदामा के परम सखा,
भक्त के भगवान हो,
गीता ज्ञान सुनाने वाले,
आपको शत-शत नमन हो।

परिचय :- निरुपमा मेहरोत्रा
जन्म तिथि : २६ अगस्त १९५३ (कानपुर)
निवासी : जानकीपुरम लखनऊ
शिक्षा : बी.एस.सी. (इलाहाबाद विश्वविद्यालय)
साहित्यिक यात्रा : दो कहानी संग्रह प्रकाशित। अभिव्यक्ति साहित्यिक संस्था द्वारा प्रति वर्ष प्रकाशित कहानी संकलनों में कहानियां प्रकाशित। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में कहानी, कविता, यात्रा वृत्तांत तथा लेख प्रकाशित। श्री ईशोपनिषद तथा श्री केनोपनिषद की सरल काव्य प्रस्तुति।
सम्प्रति : भारतीय स्टेट बैंक से सन् २०१३ में सेवानिवृत्ति के पश्चात स्वतंत्र लेखन एवं सामाजिक संस्था ‘श्री महिला शक्ति मंडल फाउंडेशन लखनऊ’ के माध्यम से सामाजिक सरोकारों से जुड़ाव।
सम्मान : लोपामुद्रा सम्मान- २०१८
घोषणा पत्र : यह प्रमाणित किया जाता है कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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