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प्यार

डॉ. जयलक्ष्मी विनायक
भोपाल (मध्य प्रदेश)

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प्यार है तो इकरार क्यों नहीं करते?
दिल में प्यार का तूफान समेटे
अव्यक्त को व्यक्त क्यों नही करते?

डरते हो? अपने आप से
या समाज से?
खुल्लम खुल्ला नहीं तो
चोरी छिपे ही
प्यार का इजहार क्यों नहीं करते?
प्यार है
तो इकरार क्यों नहीं करते?

तहज़ीब का जामा पहने
सभ्य समाज में गंभीर से तुम,
मन में प्यार का सैलाब लिए
भीतर ही भीतर परेशान से कुछ,
अपने को अभिव्यक्त क्यों नहीं करते?
प्यार है
तो इकरार क्यों नहीं करते?

पर प्यार क्या केवल इकरार ही है?
क्या समर्पण प्यार नहीं?
दूसरे की खुशी में अपनी खुशी समझना
क्या प्यार नहीं?
अव्यक्त प्यार की यहीं परिभाषा है
चोट सहकर भी चुप रहना
यहीं प्यार की पराकाष्ठा है।

परिचय :-   भोपाल (मध्य प्रदेश) निवासी डॉ. जयलक्ष्मी विनायक एक कवयित्री, गायिका और लेखिका हैं। स्कूलों व कालेजों में प्राध्यापिका रह चुकी हैं। २००३ में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर संगीत और साहित्य में योगदान के लिए लोकमत द्वारा पुरस्कृत हैं। आप “मैं हूं भोपाल’ के खिताब से भी सुशोभित हैं। पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा आपको अपनी एक कविता के लिए प्रशंसा-पत्र भी प्राप्त है। वर्तमान में आप एकलव्य युनिवर्सिटी में अंग्रेजी साहित्य की पीएचडी गाइड नियुक्त है।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।

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