Friday, November 15राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

ज़ुल्म और दर्द

शशि चन्दन
इंदौर (मध्य प्रदेश)
********************

होती जब-जब अस्मिता की हानि,
उठती ज़ुल्म और दर्द की आंधी,
पौरुष तो रहता जन्मजात अंधा,
स्त्रियाँ भी नेत्रों पर पट्टियां बांध लेती हैं।।

भीष्म प्रतिज्ञा लेने वाले गंगा पुत्र भी
भरी सभा बीच मौन हो पछताते हैं..,
गुरुजन और नीति श्रेष्ठ विदुर भी,,
हाथ पे हाथ धरे फफकते रह जाते हैं।।

झूठी दुनिया के संगी साथी देव पुत्र,
हर कर अपना सब कुछ हाय कैसे,
ये दांव अपनी ही स्त्री को लगाते हैं,
बाजुओं के बल पर धिक्कारे जातें हैं।।

खींचता है जब साड़ी दुर्शासन.,
झूठे रिश्तों से भीख मांग हरती अस्मिता,
तब कृष्णा को फिर कृष्ण ही याद आते हैं,
और अम्बर से चीर बढ़ा वो…,
रेशम के एक धागे का मोल चुकाते हैं..।।

कटी थी जब ऊंगली केशव की..,
कृष्णा ने अपने आंचल का चीर फाड़,
कृष्ण की ऊंगली पर बांधा था…,
कृष्ण एक भाई का फर्ज निभाने आते हैं।।

ज़ुल्म और दर्द की इम्तेहान जब हो जाती है,
द्रौपदी फिर अपने केश रक्त से धोती है.,
नहीं फिर वो रहम अपनों पर भी करती है,
काली बन वो शिव को चरणों में ले लेती है।।

है ये कलयुग नारी अपनी सुरक्षा खुद करना,
नाम लेना कृष्ण का, पर बाहुओं में बल रखना,
आँख उठाए कोई गर,आँख नोचने की दम रखना,
हाथ लगाए कोई गर हाथ काटने की जिद रखना।

आज नहीं है कोई भी रिश्ता भरोसे लायक,
नारी तुम पढ़ लिखकर काबिल बनना..।
लिखना अपना अस्तित्व सारी दुनिया में,
पर अपनी छवि के प्रीत कोई मैल ना रखना।।

खोल दो अगर बंधी है पट्टी आँखों पर..,
और देखो हकीकत स्वार्थी संसार की.,
बेटी के साथ साथ बेटे को भी संस्कार देना।।
सौ पुत्र न सही एक पुत्र ही सुपुत्र बनाना,
माँ बहन बेटियों का सम्मान करना सीखना।।

ताकि न नोच पाए कोई हैवान अस्मिता,
न फेंके कोई ऐसिड सुंदरता की रचना पर..,
न माले कोई कालिख पिता के गुरुर पर..,
न जले कोई बेटी बहु दहेज की आग में,
न सिले कोई दर्द से कहारते लबों को।।

द्रौपदी उठा लो अस्त्र शस्त्र अपने,
और बन जाओ दुर्गा काली शक्ति,
संहार करो इन दुष्ट राक्षसों का,
ओ नारी अपनी शक्ति को पहचानो,
ज़ुल्म और दर्द को अब नहीं सहना।।

परिचय :- शशि चन्दन
निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश)
अपने शब्दों की निर्झर बरखा करने वाली शशि चन्दन एक ग्रहणी का दायित्व निभाते हुए अपने अनछुए अनसुलझे एहसासों को अपनी लेखनी के माध्यम से स्याह रंग कोरे कागज़ पर उतारतीं हैं, जो उन्हें खुशियों के आसमानी रंग देते हैं।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा अवश्य कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय  हिन्दी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉 👉 hindi rakshak manch  👈… राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…..🙏🏻.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *