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माँ मै दौडूंगा

संजय वर्मा “दॄष्टि”
मनावर (धार)
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माँ मै तुम्हारे लिए दौडूंगा
जीवन भर आप मेरे लिए दौड़ती रही
कभी माँ ने यह नहीं दिखाया कि
मै थकी हूँ।

माँ ने दौड़ कर
जीवन की सच्चाइयों का
आईना दिखाया
सच्चाई की राह पर
चलना सिखाया।

अपने आँचल से मुझे
पंखा झलाया
खुद भूखी रह कर
मेरी तृप्ति की डकार
खुद को संतुष्ट पाया।

माँ आप ने मुझे अँगुली
पकड़कर चलना
बोलना लिखना सिखाया
और बना दिया बड़ा आदमी
मै खुद हैरान हूँ।

मै सोचता हूँ
मेरे बड़ा बनने पर
मेरी माँ का हाथ और
संग सदा उनका आशीर्वाद है
यही तो सच्चाई का राज है।

लोग देख रहे खुली आँखों से
माँ के सपनों का सच
जो उन्होंने मेहनत
भाग दौड़ से पूरा किया
माँ हो चली बूढ़ी
अब उससे दौड़ा नहीं जाता किंतु
मेरे लिए अब भी
दौड़ने की इच्छा है मन में।

माँ अब मै आप के लिए दौडूंगा
ता उम्र तक दौडूंगा
दुनिया को ये दिखा संकू
माँ से बढ़ कर दुनिया में
कोई नहीं है।

परिचय :- संजय वर्मा “दॄष्टि”
पिता :- श्री शांतीलालजी वर्मा
जन्म तिथि :- २ मई १९६२ (उज्जैन)

शिक्षा :- आय टी आय
व्यवसाय :- ड़ी एम (जल संसाधन विभाग)
प्रकाशन :- देश-विदेश की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ व समाचार पत्रों में निरंतर पत्र और रचनाओं का प्रकाशन, प्रकाशित काव्य कृति “दरवाजे पर दस्तक”, खट्टे मीठे रिश्ते उपन्यास कनाडा-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व के ६५ रचनाकारों में लेखनीयता में सहभागिता भारत की और से सम्मान – २०१५, अनेक साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित
संस्थाओं से सम्बद्धता :- शब्दप्रवाह उज्जैन, यशधारा – धार, मगसम दिल्ली, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच इंदौर (म.प्र.)
काव्य पाठ :- काव्य मंच/आकाशवाणी/ पर काव्य पाठ, शगुन काव्य मंच
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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