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गणित सूत्र को गाइये

डाॅ. दशरथ मसानिया
आगर  मालवा म.प्र.
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लंबाई चौड़ाई गुणा, क्षेत्रफल का मान।
चाल समय का गुणा करें, दूरी का हो ज्ञान।।१

लंबाइ चौड़ाई अरु, ऊंचाई गुण आन।
आयतना को पाइए, कहत हैं कवि मसान।।२

त्रिज्या पाई दो गुनी, वृत्त की परिधि जान।
त्रिज्या दुगुनी व्यास है, कहत हैं कवि मसान।।३

आंकड़ों का योग करें, कुल संख्या का भाग।
फिर औसत को पाइये, मिले गणित का राग।।४

दर समय अरू मूल का, गुणा करें सम्मान।
सौ से भाग दीजिये, सरल ब्याज को आन।।५

गायन वाचिक परम्परा, भारत की पहिचान।
गणित ज्ञान को गाइये, कहत हैं कवि मसान।।६

संकेत
१. क्षेत्रफल=लंबाई×चौड़ाई
२. दूरी=चाल×समय
३. आयतन=लंबाई×चौड़ाई ×ऊंचाई
४. वृत्त की परिधि= २πr या २×त्रिज्या
५. औसत=सब संख्याओं का योगफल/संख्याओं की संख्या
६. सरल ब्याज=मूलधन×दर×समय/१००

परिचय :- आगर मालवा के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय आगर के व्याख्याता डॉ. दशरथ मसानिया साहित्य के क्षेत्र में अनेक उपलब्धियां दर्ज हैं। २० से अधिक पुस्तके, ५० से अधिक नवाचार है। इन्हीं उपलब्धियों के आधार पर उन्हें मध्यप्रदेश शासन तथा देश के कई राज्यों ने पुरस्कृत भी किया है। डॉं. मसानिया विगत १० वर्षों से हिंदी गायन की विशेष विधा जो दोहा चौपाई पर आधारित है, चालीसा लेखन में लगे हैं। इन चालिसाओं को अध्ययन की सुविधा के लिए शैक्षणिक, धार्मिक महापुरुष, महिला सशक्तिकरण आदि भागों में बांटा जा सकता है। उन्होंने अपने १० वर्ष की यात्रा में शानदार ५० से अधिक चालीसा लिखकर एक रिकॉर्ड बनाया है। इनका प्रथम अंग्रेजी चालीसा दीपावली के दिन सन २०१० में प्रकाशित हुआ तथा ५० वां चालीसा रक्षाबंधन के दिन ३ अगस्त २०२० को सूर्यकांत निराला चालीसा प्रकाशित हुआ।
रक्षाबंधन के मंगल पर्व पर डॉ दशरथ मसानिया के पूरे ५० चालीसा पूर्ण हो चुके हैं इन चालीसाओं का उद्देश्य धर्म, शिक्षा, नवाचार तथा समाज में लोकाचार को पैदा करना है आशा है आप सभी जन संचार के माध्यम से देश की नई पीढ़ी को दिशा प्रदान करेंगे।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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