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देश बदल भी सकता है

गौरव श्रीवास्तव
अमावा (लखनऊ)
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सीमा पर तैनात खङे हैं,
वीर सपूत जो भारत के।
मृत्यु से वे भय न करते
लिए तिरंगा हाथों में।
तन मन धन से समर्पित है वे,
भारत माँ के चरणों में।
हर मानव हो सजग अगर,
परिवेश बदल भी सकता है।
वीरों की करें पूजा,
तो देश बदल भी सकता है।।

राजनीति की उपमा को,
देश प्रेम से मत जोङो।
वीरों के बलिदानों का
सबूत मांगना अब छोङो।
बलिदानो के कितने उदाहरण,
ढूँढ ढूँढ कर लाऊं मैं।
मर गया हो जिसकी आँख का पानी,
उसे पुलवामा का दृश्य दिखाऊँ मैं।
सीमा पर तैनात खङे,
वीरों का जो सबूत मांगे।
कानून अगर होता कर में,
उनको फांसी दिलवाऊ मैं।
आने वाली पीढी का
वेश बदल भी सकता है।
वीरों की करें पूजा,
तो देश बदल भी सकता है।।

इतिहास के स्वर्णिम पन्नों पर,
वीरों का नाम लिखा जाए।
हर मनुष्य के अधरों पर
स्वदेश प्रेम ही छा जाए।
गौरव चाहेगा धरती पर,
हर नारी का सम्मान रहें।
वीरों की बलिदानी का,
अमर हमेशा नाम रहें।
मृदु वाणी से लोगों का
आवेश बदल भी सकता है।
वीरों की करें पूजा,
तो देश बदल भी सकता है।।

परिचय :- गौरव श्रीवास्तव
निवासी – अमावा (लखनऊ)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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