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नियति

मालती खलतकर
इंदौर (मध्य प्रदेश)
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घोंटकर अपने
अरमानों का गला।
किसी और के
अरमा सजाए हैं।
वीरान कर किसी
एक आंगन को
दूजा अंकन
सजाने आए हैं

किन्तु हाय यह नियति
स्वागत है यहां
अपशब्दों की फुलझड़ी से
फुल झाड़ियों का प्रकाश
जिंदगी भर पर कचोटता है
खुरचन सा खुरच-खुरच कर
खुलते हैं अतीत के पन्ने।
अपने ही नहीं गैरों के
सामने किस्सा बयां होता है
जहर का घूंट पीकर
रह जाते हैं हम
पर मरते नहीं, मरे कैसे
क्योंकि अरमा मर चुके हैं
फिर जहर का घूंट क्या करेगा
मरी हुई जिंदगी के लिए।

परिचय :- इंदौर निवासी मालती खलतकर आयु ६८ वर्ष है आपने हिंदी समाजशास्श्र में एम ए एल एलबी किया है आप हिंदी में कविता कहानी लेख गजल आदि लिखती हैं व आपकी रचनाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं मैं प्रकाशित होते हैं आप सन १९६८ से इंदौर के लेखक संघ रचना संघ से जुड़ीआप शासकीय सेवा से निमृत हैं पीछेले ३० वर्षों से धार के कवियों के साथ शिरकत करती रही आकाशवाणी इंदौर से भी रचनाएं प्रसारित होती रहती हैं व वर्तमान में इंदौर लेखिका संघ से जुड़ी हैं।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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