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हनुमान जी

रचयिता : राम शर्मा “परिंदा”

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हनुमान जी

सर्वप्रथम  प्रणाम  करुं
राम  दूत  हनुमान  को ।
कलम से लिपिबद्ध करुं
पवनपुत्र यशगान को ।।
खेल में समन्दर लांघा
समर के आव्हान को ।
सीता का पता लगाया
बढ़ाया प्रभु मुस्कान को ।।
ज्ञानियों में अग्रगण्य तुम
बढ़ाओ मेरे ज्ञान को ।
अध्यात्मपथ का गामी हूं
आतुर अमृत पान को ।।
अतुल बल के धाम तुम
मारो षडरिपु शैतान को ।
पाऊं  मैं राम  दरबार में
भक्त  सम  सम्मान  को ।।

लेखक परिचय : –  लेखक परिचय : –  नाम – राम शर्मा “परिंदा” (रामेश्वर शर्मा) पिता स्व जगदीश शर्मा आपका मूल निवास ग्राम अछोदा पुनर्वास तहसील मनावर है। आपने एम काम बी एड किया है वर्तमान में आप शिक्षक हैं आपके तीन काव्य संग्रह १ परिंदा , २ – उड़ान , ३ – पाठशाला प्रकाशित हो चुके हैं और विभिन्न समाचार पत्रों में आपकी रचनाओं का प्रकाशन होता रहता है, दूरदर्शन पर काव्य पाठ के साथ-साथ आप मंचीय कवि सम्मेलन में संचालन भी करते हैं। आपके साहित्य चुनने का कारण – भावाभिव्यक्ति का माध्यम है अन्य अभिरुचि – अध्यात्मिक एवं ज्योतिष संबंधी शो …

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