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दर्द की दवा बना ली मैंने

सीताराम पवार
धवली, बड़वानी (मध्य प्रदेश)
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किसी ने वाह-वाह की किसी ने अपना ही मुंह फेर लिया

तुमने जो दर्द दिया उस दर्द से अपनी ये गजल बना ली मैंने
दर्द भरी गजल लिखकर इस जमाने को सुना दी मैंने।

किसी ने वाह-वाह की किसी ने अपना ये मुंह फेर लिया
ऐसी मशहूर हुई गजल मेरी सोई किस्मत जगा ली मैंने।

तुम्हारे दिए दर्द ने तो दुनिया में नाम कर दिया मेरा
दर्द भरी गजल को गाकर शोहरत अपनी जमा ली मैंने।

कई शायरों ने अपने इस दर्द को अपनी शायरी में पिरोया है
लेकिन इसी गजल से शायरों पर धाक जमा ली मैंने।

जो दर्द दिया था तुमने अब उसी दर्द की दवा बनाई है यारों
इस दर्द की दवा देकर कई रोशन दुआ कमा ली मैंने।

रोशन दुआओं के असर से हमारे यह दर्द फना हो जाते है
इन्हीं दुआओं के कारण तकदीर के द्वार खुलवा लिए मैंने।

तुम्हारे दिए दर्द से ही मैंने भी यहां दौलत और शोहरत पाई है
इसी दर्द की चिंगारी से नफरतों को आग लगा दी मैंने।

परिचय :सीताराम पवार
निवासी : धवली जिला बड़वानी (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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