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शहर से अलग है, गांव के घर

प्रीतम कुमार साहू
लिमतरा, धमतरी (छत्तीसगढ़)
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शहर से अलग है गांव के घर
घास मिट्टी से बने है घर !!

बर पीपल के छांव में घर
लगते सुंदर न्यारे घर !!

तुलसीचौरा सबके घर,
गौ माता पूजे घर घर !!

पशुओं को भी घर में रखते,
हरदम उनकी सेवा करते !

गोबर से घर आँगन लिपते,
स्वच्छ सुंदर घर है दिखते !

कोसो दूर बीमारी रहते,
घर से दूर शौचालय रखते !

दादा परदादा साथ में रहते,
आपस में सब बाते करते !

रिश्ते नाते साथ निभाते,
गीत ख़ुशी के सब है गाते !!

मम्मी, चाची पारस करते,
बैठ जमी में खाना खाते!

बंद दरवाजा कभी ना रखते,
मेहमानों का आदर करते !

परिचय :- प्रीतम कुमार साहू (शिक्षक)
निवासी : ग्राम-लिमतरा, जिला-धमतरी (छत्तीसगढ़)
घोषणा पत्र : मेरे द्वारा यह प्रमाणित किया जाता है कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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