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ऐ जिंदगी….

प्रभात कुमार “प्रभात”
हापुड़ (उत्तर प्रदेश)

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मुझ पर विश्वास तो
कर ऐ जिंदगी,
मैं तुझ से खफा नहीं।
लोग समझते हैं तू
बेवफा हो गई,
मगर तेरी रजा है ही निराली,
जिसने जैसे तुझे अपनाया,
तू उसके लिए वैसी ही
बन गई ऐ जिंदगी।

किसी के लिए स्वप्न तो
किसी के लिए रंंगमच
बन गई जिंदगी।
तू किसी के लिए
गमों का खारा सागर
तो किसी के लिए प्यार का
गीत बन गई ऐ जिंदगी।
किसी के लिए संघर्ष तो

किसी के लिए पुष्पों की
सेज बन गई जिंदगी।
इंसान का असली चेहरा
दिखाने के लिए आईना
बन गई ऐ जिंदगी।
किसी के लिए अभिशाप तो
किसी के लिए वरदान
बन गई जिंदगी।

सच कहूँ तो हमने
तुझे जीना सीखा ही
नहीं ऐ जिंदगी।
जीने का जज्बा ग़र
दिलों में जगा हो,
संघर्षों और मुफलिसी के
अंधकार को आशाओं की
किरणो से प्रकाशित कर,
बुलंद हौसलों की उड़ानों से
नित नए मार्ग प्रशस्त
करती है जिंदगी।

हसरतों से भरी
यह जिंदगी
बहुत कुछ हसरतें भी
तू पूरी करती है ऐ जिंदगी।

परिचय :-  प्रभात कुमार “प्रभात”
निवासी : हापुड़, (उत्तर प्रदेश) भारत
शिक्षा : एम.काम., एम.ए. राजनीति शास्त्र बी.एड.
सम्प्रति : वाणिज्य प्रवक्ता टैगोर शिक्षा सदन इंटर कालेज हापुड़
विशेष रुचि : कविता, गीत व लघुकथा (सृजन) लेखन, समय-समय पर समाचारपत्र एवं पत्रिकाओं में रचनाओं का निरंतर प्रकाशन।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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