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लिख रही है कलम

आनंद कुमार पांडेय
बलिया (उत्तर प्रदेश)
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आज का ये जहाँ पहले जैसा कहा,
रो-रो हर दास्ताँ लिख रही है कलम।

याद बचपन की वो खेल कबड्डी का,
माँ की वो लोरियां लिख रही है कलम।

नखरे इक-इक सभी बेवजह छुट्टियां,
मेरी हर खामियां लिख रही है कलम।

गाँव की टोलियाँ छांव पीपल के वो,
खेलना गोटियां लिख रही है कलम।

घसकुटी गुलीडंडा के न्यारे वो खेल,
रुठकर मान जाना अनोखे थे मेल,
बचपना मस्तियां लिख रही है कलम।

अब तो होली दीवाली में रौनक नहीं,
संडे की छुट्टियां लिख रही है कलम।

झूले सावन के हरियालियां खेतों की,
कुक कोयल की वो लिख रही है कलम।

लिखते आनन्द की आंख भी भर गयी,
अब कहाँ वो शमां लिख रही है कलम।

परिचय :- आनंद कुमार पांडेय
पिता : स्व. वशिष्ठ मुनि पांडेय
माता : श्रीमती राजकिशोरी देवी
जन्मतिथि : ३०/१०/१९९४
निवासी : जनपद- बलिया (उत्तर प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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