रचयिता : मित्रा शर्मा
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कहानी
लवों से बात क्या करना
जब धड़कन बोलती हो
गुफ्तगू सारी क्या करना
जब खामोशियाँ शोर करते हो।
लफ्जों से दिल दुखना यह
यह भी एक बहाना है
खामोशियाँ के प्रहार से भी
आंसू झरते है
दर्द की धुंवा ऐसा उठा कि
नजर से दूर हो गए
जलकर राख हो गए सपने
निशान छोडकर चलेगए।
गमों की दुनिया मे अपने को
अकेले तन्हा छोड़ दिए
दुश्वार जिंदगी की यही कहानी
तोहफा खामोशियाँ दे गए
तुम्हारी नजर अंदाजी से
हमने भी यह सिख लिया
तुम्हे यही लौटा दूँ
यह सौक रख लिया
परिचय :– मित्रा शर्मा
महू (मूल निवासी नेपाल)
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