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नाना की नीति

डॉ. निरुपमा नागर
इंदौर (मध्यप्रदेश)
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फिरंगियों का दम खम ‌करने चूर
बने वे तो क्रांति दूत

साधु, ज्योतिष, कबीर, मदारी
दे कर रुप अनेक, बनाई सेना न्यारी

तीर्थाटन के बहाने घूम-घूम कर
राजे रजवाड़ों में आजादी की अलख जगाई

हाथ खड्ग! निशां था कमल रोटी
रक्त कमल की भाषा ने की अगुआई

नाना साहब पेशवा थे वे
रहस्य भेद की नीति थी अपनाई

कब कैसे कहां हुई उनकी बिदाई
दुनिया भेद यह जान न पाई

परिचय :- डॉ. निरुपमा नागर
निवास : इंदौर (मध्यप्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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