रावल सिंह राजपुरोहित
जोधपुर (राजस्थान)
********************
चला था घुटनों के बल घोड़ा बनकर,
ले बेटो को उस पर बैठाकर।
घिस-घिस पांवो को खूब कमाया था,
तन-मन से उसे बेटे पर, खूब लुटाया था।खुद ने तो पहनी थी फ़टी अंगरखी,
ब्रांडेड कपडा दिलाया था बेटे ने।
खुद ने तो काम चलाया चप्पलो से,
बूट दिलाया था बेटे ने।खूब लिखाया खूब पढ़ाया,
समाज में बड़ा नाम कराया।
फिर चढ़ाया था उसे घोड़ी पर,
न जाने कितने नोट अवारे थे,
बेटे बहू की नई जोड़ी पर।कुछ दिन तो अच्छे से थे बीते,
बेटा बहू भी आदर से संग जीते।
फिर शुरू होने लगी खटपट,
सास बहू में अनबन होती झटपट।फिर भी था विश्वास पिता को,
अपने खून के जाए पर।
पर वह विश्वास भी जल्दी टूट गया,
जब बेटा भी रण में कूद गया।छाती से जिसको रखा लगा था,
वो अब छाती पर दलने मूंग लगा था।
आप-आप से तू-तू पर वो आ गया,
हिस्सा करने की जिद पर वो आ गया।बेटी को पराये घर भेज दिया,
बेटा भी बीबी का होकर रह गया।
जिसे पाला था बड़ी आशाएं लगाकर,
चला गया वो बुढ़ापे में लात मारकरमाँ भी झर-झर आंसू बहाती है,
पिता घुट-घुट कर रोता है।
बुढ़ापे में सेवा के सपने टूट गए,
ख़ुशी भरे दिन के सपने पीछे छूट गए।पसरे हुए सन्नाटे में अब वो अकेला रहता है,
लगता है ऐसा वो घर खाने को दौड़ता है।
दूसरे लोगो के वो ताने भी सहता है,
पर मन की वेदना को कैसे किसी से बताता है।जब खुद का ही खून पराया हो गया,
तो वे अपना दर्द किसे सुनावे।
माता रोती है अपना मुख सबसे छुपाती है,
पर वो पिता अपनी पीड़ किसे बतावे।बाप बना जब सीना गर्व से फुलाया था,
थाली बाजी, डोला बाजे।
सबका मुह मीठा कराया था,और जब
जब माँ बाप बिस्तर में पड़े थे,
बेटा एकबार देखने भी नहीं आया था।
परिचय :- रावल सिंह राजपुरोहित
निवासी : जोधपुर (राजस्थान)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।
आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻
आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा जरुर कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉 hindi rakshak manch 👈… राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…