Thursday, November 7राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

तुम अधीर ना होना

अंजनी कुमार चतुर्वेदी
निवाड़ी (मध्य प्रदेश)
********************

दुख की धूप कभी भी सुत पर,
जीवन में जब आती।
आँचल की छाया देकर माँ,
जीवन पाठ पढ़ाती।

पनघट जैसी कठिन डगर है,
जीवन मकड़ी जाला।
नहीं उलझना मकड़जाल में,
समझाती हूँ लाला।

है जीवन तलवार दुधारी,
इस पर कैसे चलना।
हो प्रतिकूल परिस्थिति जैसी,
उसमें कैसे ढ़लना।

कठिन समय जब तुम्हें सताए,
धीरज कभी न खोना।
मन का अश्व रहे काबू में,
तुम अधीर न होना।

ऊँचाई पर चींटी चढ़ती,
फिर फिर गिर जाती है।
चढ़ती, गिरती गिरती, चढ़ती,
आखिर चढ़ जाती है।

बिना रुके तुम चढ़ते रहना,
अगर शिखर हो पाना।
सब के सहयोगी बनकर तुम,
नाम अमर कर जाना।

रंग चढ़ा दुनिया पर ऐसा,
कोई काम न आता।
मेरे प्यारे तुम बन जाना,
सब के भाग्य विधाता।

जीवन में पग-पग पर मिलते,
हैं अपनों के ताने।
फिर कैसे अपने हो सकते,
जो हमसे अनजाने।

अपनापन, अनुराग दिखाकर,
सबको गले लगाना।
मेरा दूध पिया है तुमने,
उसका फर्ज निभाना।

निज माँ से पुनीत होती है,
जन्मभूमि अति पावन।
सदा समर्पित रहना इस पर,
यही सुखद मनभावन।

तूने मुझ को जन्म दिया है,
धरती पर में खेला।
यही धर्म संकट कहलाता,
दो राहों का मेला।

तेरे आँचल में रहकर माँ,
घर बैकुंठ जानता था।
तुझसे बड़ा ना कोई जग में,
हरदम यही मानता था।

माँ तुझ में भगवान दीखता,
धरती में सीता दिखतीं।
दोनों मायें मिलकर के ही,
सुत का भाग्य सदा लिखतीं।

तन मन प्राण न्यौछावर कर दूँ,
यही जिंदगी का सपना।
दोनों माँ से यही प्रार्थना,
देना आँचल ही अपना।

परिचय :अंजनी कुमार चतुर्वेदी
निवासी : निवाड़ी (मध्य प्रदेश)
शिक्षा : एम.एस.सी एम.एड स्वर्ण पदक प्राप्त
सम्प्रति : वरिष्ठ व्याख्याता शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय क्रमांक २ निवाड़ी
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा अवश्य कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय  हिन्दी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉 👉 hindi rakshak manch  👈… राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…🙏🏻.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *