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मेरे जीवन की आधार प्रिये

सुरेश चन्द्र जोशी
विनोद नगर (दिल्ली)
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गृहस्थी में ये वर्ष पच्चीस प्रिये,
बनाये जग ने सुधामय हो |
मिले जग को शतावृतसुधा,
तन मन तुम्हारा निरामय हो ||
मेरे जीवन की आधार प्रिये,
रजत वर्ष मंगलमय हो…..
पंथी बन एकाकीपथ के हम,
किया शिव ने प्रशस्तमय हो |
रहे एकाकी दोनों साथ हम,
किये सिद्धांत तो दृढमय हो ||मेरे जीवन….
नहीं स्पर्धा धनियों कोई,
हैं आदर्श हमारे धनमय हो |
बने रहे हैं हम परस्पर धन,
इसीसे जीवन सुखमय हो ||मेरे जीवन….
सुता सुत तेरे शिवाशीष,
लधूनाशीष उभयोंपर हो |
देंगे हम दोनों इन्हें आशीष,
लधूनाशीष हम दोनों पर हो ||मेरे जीवन…..
दिखाए लधूनेश्वर वानप्रस्थ मार्ग,
अब गृहस्थ मार्ग अमृतमय हो |
बनी रहे महादेव लधून की अनुकम्पा,
जीवन तुम्हारा शतायुमय हो ||
जीवन तुम्हारा शतायुमय हो,
सौभाग्य तुम्हारा अखण्डमय हो |
मेरे जीवन की आधार प्रिये,
रजत वर्ष मंगलमय हो ||
“रजत वर्ष मंगलमय हो, रजत वर्ष मंगलमय हो”

परिचय :- सुरेश चन्द्र जोशी
शिक्षा : आचार्य, बीएड टीजीटी (संस्कृत) दिल्ली प्रशासन
निवासी : विनोद नगर (दिल्ली)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।

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