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गौ माता

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया
भोपाल (मध्यप्रदेश)

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गौ माता धन्य हो तुम।
अन्नपूर्णा माता कहलाती हो।
गृह लक्ष्मी गौ माता दुग्ध।
दुह कर परिवार जन।

दुग्ध पय करावे नित।
पर देखो कैसी विडम्बना।
गौ माता दुग्ध पान वंचित।
गौ माता निज संतान।

जबकि सर्वोपरी अधिकार।
प्रथम दुग्धपान गौ माता।
निज संतान बछड़ा हो।
या बछड़ी।

किंतु मानव स्व हित।
गौमाता स्व संतान।
मां दुग्ध ना पा सके।
इक खूँटे बँधी अल्प।
घास उदर पोषण हेतु मजबूर।

परिचय :- श्रीमती संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया
निवासी : भोपाल (मध्यप्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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