विजय गुप्ता
दुर्ग (छत्तीसगढ़)
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शारदा ट्रैक्टर की ट्रॉली सड़क पर चल रही,
सूर्य अस्त होने को है और फ्लाई ओवर का नजारा,
गाडियां तो चींटी कछुए की चाल चल रहीं
पुल पर सारी गाडियां जाम में फंस रहीं।
ट्रॉली के पीछे मेरी कार भी रेंगती रही,
ट्रॉली में दो मजदूरों के अलावा एक सुंदर सुडौल
लगभग ११ वर्षीय बालक,
ट्रॉली को ही क्रिकेट का पिच बना रहा,
और अंतराष्ट्रीय खिलाड़ियों सा बल्ला घुमा रहा।
जैसे हर बाल पर छक्का चौका जड़ दिया,
दोनों हाथ ऊपर हवा में लहरा रहा,
मस्त उत्साह में झूम रहा।
एक किसान मालिक का बेटा है वो,
या ट्रैक्टर मालिक का।
हो सकता है मजदूर का ही बेटा हो।
जो भी हो, क्रिकेट खेल के खिलाड़ी का
अरमान बहुत प्रखर है।
सूर्य की बिखरती सिमटती किरणों की तरह,
उस बालक का भविष्य मानो गर्त में कैद है।
महान बन जाने पर,
दुनिया में नाम का यशोगान हो जाने पर,
शास्त्रीजी की भी महिमा निरूपित हुई,
सचिन के चर्चे भी सुर्खियों में रहे,
अमेरिका के राष्ट्रपति इब्राहिम के संदेश भी मिले।
कभी हार मत मानो जीवन में,
परिस्थितियों का सामना करो हमेशा,
हार के बाद जीत है,
परंतु जीत मिलने तक समझना है,
ऐसे बालकों से कितनों की प्रीत है,
अकेले की दमखम की ही रीत है।
बच्चे ही तो देश दुनिया भविष्य हैं,
बालमन को समझने का सहारा
इशारा मंतव्य कहां छिपा बैठा है।
सूरज तो कल फिर रोशनी बिखेरेगा,
रास्ते का जाम कुछ देर ही रहेगा,
बालमन में क्रिकेट खेल की कशिश,
कितनी दूर तक चलेगी।
मन तो आज मन्नत मांगता है,
ऐसे बालकों के लिए भी तो सरजमीं होगी।
ट्रैक्टर की ट्रॉली से क्रिकेट हसरत भी हसीं होगी।
क्या पता कल ऐसे गुमनाम बच्चों की सफलता पर,
आनेवाले बच्चों को इन्हीं मिसालों की चर्चा होगी।
इन्हीं मिसालों की चर्चा होगी
इन्हीं मिसालों की चर्चा होगी।
परिचय :- विजय कुमार गुप्ता
जन्म : १२ मई १९५६
निवासी : दुर्ग छत्तीसगढ़
उद्योगपति : १९७८ से विजय इंडस्ट्रीज दुर्ग
साहित्य रुचि : १९९७ से काव्य लेखन, तत्कालीन प्रधान मंत्री अटल जी द्वारा प्रशंसा पत्र
काव्य संग्रह प्रकाशन : १ करवट लेता समय २०१६ में, २ वक़्त दरकता है २०१८
राष्ट्रीय प्रशिक्षक : (व्यक्तित्व विकास) अंतराष्ट्रीय जेसीस १९९६ से
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।
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