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दर्द सहना, दर्द लिखना मेरी पहचान रहने दो …

शाहरुख मोईन
अररिया बिहार
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दिल में खौफ ए ख़ुदा
मंदिर में भगवान रहने दो,
करम इतना तो हो हमारे
सब अरमान रहने दो।

रोटी की कीमत, भूख की
तलब पूछिए गरीब से,
बेघर खुश हूं ऊंचे महलों के
तो दरबान रहने दो।

ठोकड़ों में जी रहे लिवास
दवा न दुआ मिलती है,
खुली किताब हूं मेरे सर पे
आसमान रहने दो।

लफ्जों का कोई ख़ास नायाब
कारीगर नहीं हूं मैं,
दर्द सहना दर्द लिखना मेरी
ये पहचान रहने दो।

परिचय :- शाहरुख मोईन
निवासी : अररिया बिहार
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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