Thursday, November 21राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

निशा की माया

दिनेश कुमार किनकर
पांढुर्ना, छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश)
********************

फैलाई निशा ने माया, चाँद सितारों की!

लौट गए रवि लेकर,
अपना स्वर्णिम रथ!
नर्तन कर संध्या भी,
चल दी अपने पथ!
निशा ने सुलाया सबको जो
थे थके हुए लथपथ!
विरहदग्ध रहे देखते,
रातभर यात्रा तारो की!…….

फैल गई चांदनी गगन,
में जैसे हृदय की आस!
लगे दौड़ने तारे नभ में,
दग्ध मन के से संत्रास!
शशि अपनी शीतलता से,
उर में भर रहा विश्वास!
पंहुची साधना चरम पर
प्रभु पथ के प्यारो की!…….

गहन तिमिर में निकल,
निशाचर पा रहे आहार!
मिलन की इस यामिनी में,
युगल कर रहे हैं विहार!
अधर्मियों के लिए निशा,
सुलभ करने पीत व्यापार!
निशा साक्षी हर हृदय में
बनती गिरती दीवारों की!

फैलाई निशि ने माया, चाँद सितारों की!

परिचय –  दिनेश कुमार किनकर
निवासी : पांढुर्ना, जिला-छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र :  मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा अवश्य कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय  हिन्दी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉 👉 hindi rakshak manch  👈… राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…🙏🏻.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *