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साथ अपने …

नवीन माथुर पंचोली
अमझेरा धार म.प्र.
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साथ अपने क़िताब रखते हो।
फ़लसफ़ा लाज़वाब रखते हो।

रोशनी की तुम्हें कमी कैसी,
पास जब माहताब रखते हो ।

है यहाँ और है वहाँ कितना,
सब जुबाँ पर हिसाब रखते हो।

हो जहाँ तुम समाँ महक जाए,
साँस अपनी गुलाब रखते हो।

हम इसी बात के रहे क़ाइल,
दोस्ती बेहिसाब रखते हो।

परिचय :- नवीन माथुर पंचोली
निवास – अमझेरा धार म.प्र.
सम्प्रति – शिक्षक
प्रकाशन – देश की विभिन्न पत्रिकाओं में गजलों का नियमित प्रकाशन, तीन ग़ज़ल सन्ग्रह प्रकाशित।
सम्मान – साहित्य गुंजन, शब्द प्रवाह, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान
घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है।


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