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कालचक्र

संजय जैन
मुंबई (महाराष्ट्र)
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जीवन के है तीन आधार
भूत भविष्य और वर्तमान।
जीना सबको पड़ता है
इन्हीं तीनो कालो में।
भूत बदले भविष्य बदले
या बदले वर्तमान।
फिर जीना पड़ता है
इन्हीं कालो के साथ।।

किसके भाग्य में क्या लिखा
ये तो भाग्य विधाता जाने।
पर मैं जो कुछ भी करता
अपनी मेहनत और लगन से।
तभी तो दिख रहे परिणाम
मुझे इस मानव जीवन में।
इसलिए मुझे आस्था है
अपने भगवान के ऊपर।।

बनो आशावादी तुम
अपने मनुष्य जन्म में।
करो भरोसा उस पर तुम
जिसे तुम अपना समझते हो।
और उसके लिए लड़ने को
जमाने से भी तैयार हो।
वो कोई और नहीं है
ये तीनो ही काल है।।

परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच (hindirakshak.com) सहित बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं। ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी के चलते कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। आप मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखने के साथ-साथ मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है, आप लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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