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एक भारत ऐसा भी

डॉ. जयलक्ष्मी विनायक
भोपाल (मध्य प्रदेश)

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एक पुल के ऊपर
ठाठ बाट संभ्रान्त,
दूसरा पुल के नीचे
अर्द्ध नग्न सहता संताप।
एक लंबी छुट्टी का लेता
आरामदायक मजा,
दूसरा लंबी छुट्टी की लेता
कष्टदायक सजा।
एक सुरक्षित, आनंदमय,
गुनगुनाता, खिलखिलाता परिवार,
दूसरा चिलचिलाती धूप में
थका-मांदा पैर रगड़ता
सुबकता परिवार।
एक जो रोज नए
खाद्य पदार्थ की विधि से
अपनी चंचल जिव्हा को तुष्ट करता,
सोशल मीडिया पर इतराकर
अपनी पाक कला दर्शाता।
तो दूसरा एक कटोरी
भात के लिए दूसरों के समक्ष
हाथ पसारता।
आठ बच्चों में एक रोटी के
टुकड़े कर गटागट
पानी पी सो जाता।
एक बैंक में जमे पैसों का
लेखा-जोखा देख निश्चिंत।
दूसरा हाथों की उंगलियों को
चटकाता बिना आजीविका चिंतित।
एक बालकनी में आनंद लेता
पक्षियों की चहचहाहट।
दूसरे के मन में आर्तनाद
और घबराहट।
एक कोरोना के आंकड़े गिनता
कितने मरे कितने पोजिटिव!
दूसरा सोचता कैसे मैं बचूं इस
समस्या से विकट?
बैठ-बैठ कर कोई
बढाता वज़न बेफिक्र।
तो कोई पिचका पेटऔर
पसलियां ले, गिनता मर्ज।
एक भव्य घर में रह
सपने देखता उज्जवल।
दूसरा १०/१० कमरे में रह
भविष्य के सपने देखता धुमिल।

परिचय :-   भोपाल (मध्य प्रदेश) निवासी डॉ. जयलक्ष्मी विनायक एक कवयित्री, गायिका और लेखिका हैं। स्कूलों व कालेजों में प्राध्यापिका रह चुकी हैं। २००३ में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर संगीत और साहित्य में योगदान के लिए लोकमत द्वारा पुरस्कृत हैं। आप “मैं हूं भोपाल’ के खिताब से भी सुशोभित हैं। पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा आपको अपनी एक कविता के लिए प्रशंसा-पत्र भी प्राप्त है। वर्तमान में आप एकलव्य युनिवर्सिटी में अंग्रेजी साहित्य की पीएचडी गाइड नियुक्त है।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।

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