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मेरी परछाई

डॉ. कुसुम डोगरा
पठानकोट (पंजाब)

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मेरी परछाई बन मेरे साथ
रही मेरी गुड़िया अब तक
ना जाने पति का घर देखते ही
क्यूं मुझसे दूर हो गई
क्यूं मेरे आंचल को
उदास कर गई
वो उसका
आंचल में छिप जाना
और लोगों के देख घबरा कर
पल्लू को जोर से पकड़ लेना
आज मेरी परछाई
क्यूं मुझसे दूर हो गई
मेरा आंचल उदास कर गई।

वो छुई मुई सी कली का
रेत के घरौंदे बनाना
भाई के दोस्तों संग
क्रिकेट खेलना
कुत्तों को दूर से ही
देख घबरा जाना
घर के अंदर ही बात
बात पर इजाज़त लेना
मुझे किसी के साथ
देख कर ईर्षा करना
घर में मेरी छवि बन इठलाना
चुपके-चुपके मेरी नकल करना
आज मेरी परछाई
मुझसे दूर हो गई
क्यूं मेरा आंचल को
उदास कर गई….

परिचय :- डॉ. कुसुम डोगरा
निवासी : पठानकोट (पंजाब)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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