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लहरें

मालती खलतकर
इंदौर (मध्य प्रदेश)
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क्यों टकराती हो कूल से
जानती नहीं तुम्हें
लौट आना होगा
पुनः पवन के
थपेड़े सहने के लिए
तुम लहर हो, नारी हो
सहनशक्ति का
पर्याय बनो।
तलाक के स्थिर जल में
तुम्हें बहना नहीं है
केवल कूल से
टकराकर लौटना होगा
प्रत्यागमन के लिए
पवन के साथ
खेलते समय बीता है
बीच तडाग के
तड़क तुम्हें त्याग
देगा कूल के लिए
तुम जानती नहीं,
ना समझ पाती हो
पानी पवन का वार्तालाप
जो स्वयं के सुख के लिए
तडाग की सुंदरता के लिए
तुम्हें संघर्ष करने
के लिए कूल तक भेजते हैं
दूर बहुत दूर से तुम्हारा
छटपटाना देख
उल्सीत हो फिर से
पवन पानी मिल
तुम्हें धकेलते है
अपनी सुंदरता के लिए
प्रकृति प्रेमी को
निहारने के लिए
उसे गुनगुनाने,
कलम चलाने के लिए
बाध्य करते हैं
ताकि इतिहास
रचा जा सके
जनमानस में
स्फुरण भर सके।।

परिचय :- इंदौर निवासी मालती खलतकर आयु ६८ वर्ष है आपने हिंदी समाजशास्श्र में एम ए एल एलबी किया है आप हिंदी में कविता कहानी लेख गजल आदि लिखती हैं व आपकी रचनाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं मैं प्रकाशित होते हैं आप सन १९६८ से इंदौर के लेखक संघ रचना संघ से जुड़ीआप शासकीय सेवा से निमृत हैं पीछेले ३० वर्षों से धार के कवियों के साथ शिरकत करती रही आकाशवाणी इंदौर से भी रचनाएं प्रसारित होती रहती हैं व वर्तमान में इंदौर लेखिका संघ से जुड़ी हैं।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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