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रघुवर कब तक आओगे

रामसाय श्रीवास “राम”
किरारी बाराद्वार (छत्तीसगढ़)

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मात्रा भार–१६–१४

जग से अत्याचार मिटाने,
रघुवर कब तक आओगे।
कब से राह तकें हम तेरे,
कब दर्शन दिखलाओगे।।

क्रंदन करती धरती माता,
कष्ट नहीं सह पाती है।
अपने पुत्र जनो का दुखड़ा,
इसको खूब रूलाती है।।
कब इसके रूखे उपवन में,
प्रेम सुधा बरसाओगे।।

छिड़ी हुई है जंग जहाॅ में,
निज प्रभुता दिखलाने को।
साधन हीन लगे हैं जग में,
निज अस्तित्व बचाने को।।
साधन वानो को कब आकर,
राह सही दिखलाओगे।।

धरती से अम्बर तक खतरा,
साफ दिखाई देता है।
कुदरत रहकर मौन हमेशा,
सारे गम सह लेता है।।
धधक रही इस सृष्टि को कब,
आकर तुम हर्षाओगे।।

नहीं सुरक्षित जग में कोई,
आज़ यहाॅ हैं नर नारी।
मानवता पर भी छाई है,
आज यहाॅ संकट भारी।।
राम इन्हें मानवता का कब,
आकर पाठ पढ़ाओगे।।

परिचय :- रामसाय श्रीवास “राम”
निवासी : किरारी बाराद्वार, त.- सक्ती, जिला- जांजगीर चाम्पा (छत्तीसगढ़)
रूचि : गीत, कविता इत्यादि लेखन
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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