Friday, November 22राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

बूढ़ी अम्मा

सरला मेहता
इंदौर (मध्य प्रदेश)
********************

 शीतला सप्तमी होने से सास बहू नहा धोकर रात में ही रसोई में जुट जाती हैं। पूड़ी सब्ज़ी, दही बड़े, गुलगुले आदि भोग के लिए अलग रख दिए हैं। नौकरी पेशा बहू भलीभांति सासू माँ के आदेशों का पालन करती है। पिछली बार चुन्नू को चेचक के प्रकोप से देवी माँ ने ही बचाया, ऐसा माजी का कहना है। बहू पूजा की थाल सजाकर तैयारियाँ कर लेती है ताकी बच्चे भी प्रसाद लेकर स्कूल जा सके। आदतानुसार सासू माँ याद दिलाना नहीं भूलती हैं, “चना दाल भिगोना व दही ज़माना मत भूल जाना। दीया ठंडा ही रखना है। याद है चिकित्सक भी चेचक होने पर कमरा ठंडा रखने को कहते हैं। और हम माता जी के आने पर दरवाजे पर नीम की पत्तियां लटकाते हैं।”
“हाँ माँ ! आप हर साल दुहराती हैं, अब मैं पक्की हो गई हूँ।” बहू आश्वस्त करती है।
सुबह सवेरे बहू लाल चूनर ओढे, पूजा की थाल लिए तैयार खड़ी है।
सासू माँ बड़बड़ाती हैं, “मुई बरसात को भी आज ही आना था।”
तभी सामने से पेट पीठ दोनों एक, लकड़ी टेकती बूढ़ी अम्मा दिखाई देती है। सासू माँ पूछ बैठती हैं, “भरी बरसात में कहाँ चली?”
अम्मा थरथराते हुए बोली, “अरे माजी ! जब से बेटे ने घर छोड़ा, बहू ही मेरा व पोते का पेट पालती है। आज वह बुखार में बेसुध पड़ी है। सोचा मैं ही कुछ बासी कूसी का जुगाड़ करूँ।” सास बहू आँखों ही आँखों में इशारे करती हैं। और बहू झटपट सब भोग सामग्री पैक कर अम्मा को थमा देती है।
सासू माँ सोचने लगती है, “पूजा तो पूर्ण हो ही गई है। अब बूढ़ी अम्मा को अदरक की गरमागरम चाय तो पिलाई जा सकती है।”
वे हाथ जोड़कर प्रार्थना करती हैं, “हे शीतलामाता ! आप साक्षात हमारे घर पधारी। सबकी रक्षा करना माँ।”

परिचय : सरला मेहता
निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा अवश्य कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय  हिन्दी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉 👉 hindi rakshak manch  👈… राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…🙏🏻.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *