Thursday, November 21राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

होलिका दहन

प्रभात राजपूत ”राज” गोंण्डवी
गोंडा (उत्तर प्रदेश)

********************

होलिका दहन की
कहानी पुरानी है,
यह असुर राज की
बहन से शुरू हुई कहानी है।।

होलिका दहन का
पर्व हमें संदेश देता है,
भक्तों पर अत्याचार होने पर
भगवान स्वयं अवतार लेता है।।

होलिका दहन का राज
हमें आकर्षित करता है,
जो दुष्ट होता है, वह स्वयं की
अग्नि में ही जलता है।।

यह त्योहार फाल्गुन मास की
पूर्णिमा को मनाते हैं,
सब लोग मिलकर
होली का जलाते हैं।।
इस त्यौहार के अनेक नाम हैं,
धुलेंडी, धुलडी, धूलि
विख्यात नाम है।।

होलिका हिरण्यकश्यप की बहन थी,
यह दुष्ट और असहन थी।।
भगवान खुद को
हिरण्यकश्यप समझता था,
वह मनुष्य को
जानवर समझता था।।

होलिका को न जलने का
वरदान प्राप्त था,
इसीलिए होलिका को
अभिमान व्याप्त था।।

भक्त प्रहलाद को
गोद में लेकर बैठ गई,
भक्त बाहर आ गया
होलिका जल गई।।

अनेकों कहानियां
और प्रचलित हैं,
जो सच सच है,
वह लिखित है।।

परिचय :- प्रभात राजपूत ”राज” गोंण्डवी
निवास – गोंडा (उत्तर प्रदेश)
घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है।


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा अवश्य कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय  हिन्दी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉 👉 hindi rakshak manch  👈… राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…🙏🏻.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *