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मेरी माँ

मेरी माँ

रचयिता : शिवांकित तिवारी “शिवा”

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इस धरा का  अद्वितीय अनुपम वरदान है माँ,
जन्मदात्री जगतपूज्या जग में सबसे महान है माँ,

नौ महीने कोख में रख वह शिशु को जन्म देती,
अथक पीड़ा सहन कर भी वह किसी से कुछ न लेती,
दया,ममता,स्नेह की माँ अद्भुत अप्रतिम तस्वीर है,
कितने रूपों को जीती लिखतीं कितनी तकदीर है,
माँ है तो ये दुनिया है माँ से सारा जहान है,
माँ है तो सारे सपने है माँ से ही मुस्कान है,
माँ अगर है तभी बच्चों के पूरे होते है अरमान,
माँ से ही ये है जमाना माँ से है सारी पहचान,
बच्चों की खातिर करती अपने सारे सपने कुर्बान है,
सच में माँ सम जग में न दूजा कोई भगवान है,
माँ है मिलती प्रेरणा और माँ से मिलता ज्ञान है,
माँ से मिलती जिंदगी और जग में मिलता मान है,
लिखता हूँ मैं माँ पर सदा और सदा लिखता रहूँगा,
माँ ही मेरी है कलम और माँ ही मेरी जान है,

लेखक परिचय :- शिवांकित तिवारी “शिवा” युवा कवि,लेखक एवं प्रेरक सतना (म.प्र.) शिवांकित तिवारी का उपनाम ‘शिवा’ है। जन्म तारीख १ जनवरी १९९९ और जन्म स्थान-ग्राम-बिधुई खुर्द (जिला-सतना,म.प्र.) है। वर्तमान में जबलपुर (मध्यप्रदेश) में बसेरा है। आपने कक्षा १२ वीं प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की है, और जबलपुर से आयुर्वेद चिकित्सक की पढ़ाई जारी है। विद्यार्थी के रुप में कार्यरत होकर सामाजिक गतिविधि के निमित्त कुछ मित्रों के साथ संस्था शुरू की है, जो गरीब बच्चों की पढ़ाई, प्रबंधन, असहायों को रोजगार के अवसर, गरीब बहनों के विवाह में सहयोग, बुजुर्गों को आश्रय स्थान एवं रखरखाव की जिम्मेदारी आदि कार्य में सक्रिय हैं। आपकी लेखन विधा मूलतः काव्य तथा लेख है, जबकि ग़ज़ल लेखन पर प्रयासरत हैं। भाषा ज्ञान हिन्दी का है, और यही इनका सर्वस्व है। प्रकाशन के अंतर्गत किताब का कार्य जारी है। शौकिया लेखक होकर हिन्दी से प्यार निभाने वाले शिवा की रचनाओं को कई क्षेत्रीय पत्र-पत्रिकाओं तथा ऑनलाइन पत्रिकाओं में भी स्थान मिला है। इनको प्राप्त सम्मान में-‘हिन्दी का भक्त’ सर्वोच्च सम्मान एवं ‘हिन्दुस्तान महान है’ प्रथम सम्मान प्रमुख है। आप ब्लॉग पर भी लिखते हैं। इनकी विशेष उपलब्धि-भारत भूमि में पैदा होकर माँ हिन्दी का आश्रय पाना ही है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-बस हिन्दी को वैश्विक स्तर पर सर्वश्रेष्ठता की श्रेणी में पहला स्थान दिलाना एवं माँ हिन्दी को ही आराध्यता के साथ व्यक्त कराना है। इनके लिए प्रेरणा पुंज-माँ हिन्दी, माँ शारदे, और बड़े भाई पं. अभिलाष तिवारी है। इनकी विशेषज्ञता-प्रेरणास्पद वक्ता, युवा कवि, सूत्रधार और हास्य अभिनय में है। बात की जाए रुचि की तो, कविता, लेख, पत्र-पत्रिकाएँ पढ़ना, प्रेरणादायी व्याख्यान देना, कवि सम्मेलन में शामिल होना, और आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति पर ध्यान देना है।

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