Wednesday, December 18राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

सब गुलजार हुआ होगा

विजय गुप्ता
दुर्ग (छत्तीसगढ़)
********************

ताटंक छंद

त्योहार मनाने का उत्साह,
इंतजार में पलता है
राग द्वेष को तजते इसमें,
अपनेपन से चलता है।
होली होली कहते सुनते,
जीवन पार हुआ होगा
रंग गुलाल अबीर चकाचक,
सब गुलजार हुआ होगा।

दुनिया रंगबिरंगी होती,
चालों में रंग सिमटता
रंगों पर हक नहीं किसी का,
घटना घेरों में पलता
आशा विश्वास सहयोग दया,
रंगो का पहरा रहता
रहमत रंग की पात्रता से,
अमन चैन खजाना होगा
सच्चे पक्के जब रंग समाए,
दांवपेंच गुजरा होगा
होली होली कहते सुनते,
जीवन पार हुआ होगा
रंग गुलाल अबीर चकाचक,
सब गुलजार हुआ होगा।

बिना कर्म और समर्पण से,
अंक गणित का शून्य है
रंग तुम्हारे कितने चोखे,
साहस मार्ग अनन्य है
अमल खलल रूप सच्चाई से,
रंग गाथा भी धन्य है
जहमत रंग प्रतिपालन में,
काया कल्प हुआ होगा
रंग लगाकर रंग बदलना,
आपा भी खोया होगा
होली होली कहते सुनते,
जीवन पार हुआ होगा
रंग गुलाल अबीर चकाचक,
सब गुलजार हुआ होगा।

सब रंग समाहित मंजिल में,
हंसते हुऐ जेवर थे
कभी विरोधी खेमा पाया,
तीखे उनके तेवर थे
रंगों का भूचाल देखते,
बहुरंगी भंवर में थे।
सहमत रंग हालात में वो,
तरबतर भी हुआ होगा।
बस सारे रंगों का मिश्रण,
इंद्र धनुष नज़र होगा।
होली होली कहते सुनते,
जीवन पार हुआ होगा
रंग गुलाल अबीर चकाचक,
सब गुलजार हुआ होगा।

दुनिया में चारों ओर रहे,
अलग गुण धर्म के मोती
समरसता संस्कार रंग से,
सेवा का रूप पिरोती
वाचन में कमजोर पड़े तब,
हवा रंग को बहकाती
जनमत रंग प्रभाव मिसाल,
चोटी पर छाया होगा।
जब रंग भरे सपनों से ही,
’विजय’ रंग पाया होगा
होली होली कहते सुनते,
जीवन पार हुआ होगा।
रंग गुलाल अबीर चकाचक,
सब गुलजार हुआ होगा।

त्योहार मनाने का उत्साह,
इंतजार में पलता है।
राग द्वेष को तजते इसमें,
अपनेपन से चलता है।
होली होली कहते सुनते,
जीवन पार हुआ होगा।
रंग गुलाल अबीर चकाचक,
सब गुलजार हुआ होगा।

परिचय :- विजय कुमार गुप्ता
जन्म : १२ मई १९५६
निवासी : दुर्ग छत्तीसगढ़

उद्योगपति : १९७८ से विजय इंडस्ट्रीज दुर्ग
साहित्य रुचि : १९९७ से काव्य लेखन, तत्कालीन प्रधान मंत्री अटल जी द्वारा प्रशंसा पत्र
काव्य संग्रह प्रकाशन : १ करवट लेता समय २०१६ में, २ वक़्त दरकता है २०१८
राष्ट्रीय प्रशिक्षक : (व्यक्तित्व विकास) अंतराष्ट्रीय जेसीस १९९६ से
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा अवश्य कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय  हिन्दी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉 👉 hindi rakshak manch  👈… राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…🙏🏻.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *