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रंग पंचमी इन्दौर की

 

गगन खरे क्षितिज
कोदरिया मंहू (मध्य प्रदेश)
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गेरों और गुलाल,
रंगों का है संगम,
सज धजकर
टोलियां निकलती हैं,
मस्ती के रंगों में
गुलाल अबीर से
अहिल्या राजबाड़ा चौक
सराबोर हो जाता हैं
रंगों की रंग पंचमी
देखी है इन्दौर की।

हंसी मजाक ठिठोली करते
नहीं किसी से भेदभाव
यही दिखती हमारी संस्कृति
सभ्यता परम्पराओं और
एकता और आत्मविश्वास
अंखण्ड धर्मनिरपेक्ष
भारत की भारतीय रंग में,
रंग पंचमी बस इन्दौर की।

तीज़ त्यौहार हर उत्सव
उल्लासपूर्ण अपनात्व के
रंगों में सराबोर हुआ करता है
गगन जहां सभी को
सम्मान दिया जाता हैं,
ऐसी जन्मभूमि है
विकास यहां अहिल्या बाई
होलकर की आत्मा से जुड़ी,
आत्मीय रंगों से खेली जाती है
होली रंग पंचमी इन्दौर की,
रंग पंचमी इन्दौर की,
रंग पंचमी इन्दौर की।

परिचय :- गगन खरे क्षितिज
निवासी : कोदरिया मंहू इन्दौर मध्य प्रदेश
उम्र : ६६वर्ष
शिक्षा : हायर सेकंडरी मध्य प्रदेश आर्ट से
सम्प्रति : नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण भोपाल मध्यप्रदेश सेवानिवृत्त २०१४
साहित्य में कदम : २०१४ से भारतीय साहित्य परिषद मंहू, मध्य प्रदेश लेखक संघ मंहू इकाई, महफ़िल ए साहित्य कोदरिया मंहू, आर्चना साहित्य संस्थान मंहू, राष्ट्रीय संखी साहित्य परिवार, छत्तीसगढ़ सखी साहित्य परिवार, म. प्र. संखी साहित्य परिवार, राष्ट्रिय हिंदी रक्षक मंच आदि समूह से समय पर जुड़े है।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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